प्रिय पाठको, इस आर्टिकल में हम प्लेसेंटा (Placenta) के बारे में अच्छी तरीके से सटीक एवं शुद्ध जानकारी प्राप्त करेंगे। (Dr. Anu, Gynecologist, Kanpur).
प्लेसेंटा (Placenta) क्या होता है।
गर्भावस्था के दौरान प्लेसेंटा एक महत्वपूर्ण अंग होता है। जिसके द्वारा गर्भाशय में स्थित भ्रूण की शरीर में माता के रक्त का पोषण पहुंचाता रहता है और जिससे भ्रूण की वृद्धि होती है यह अंग माता और भ्रूण के शरीरों में संबंध स्थापित करने वाला अंग होता है। जो भ्रूण की पोषकोरक (Trophoblast) स्तर एवं मातृकाओ द्वारा निर्मित होता है। यह गर्भावस्था के दौरान भ्रूणीय परिवर्धन हेतु आवश्यक तत्वों का आदान प्रदान करता है।
प्लेसेंटा का विकास कैसे होता है।
प्लेसेंटा का विकास निम्न परतो से मिलकर होता है।
- इंप्लांटेशन के पश्चात ब्लास्टोसाइट गर्भाशय की दीवार में स्थित होता है जो की इंडोमैट्रियल-सेल्स द्वारा आस्तरित होता हैं।
- ब्लास्टोसाइट की ट्रोफोब्लास्ट परत से उभारों (Projections) का निर्माण होता है। जो लगभग 3 सप्ताह तक शाखित संरचना का निर्माण करते हैं यह संरचना (Chorionic villi) कहलाती है।
- ये कोरियोनिक विली वहां संख्या में अत्यधिक पाई जाती है जहां ब्लड सप्लाई अधिक होती है एवं यह क्षेत्र मातृ स्तर (decidua basalis), होता है।
- इस समय ट्रोफोब्लास्ट स्तर निर्मित (Chorionic villi) का स्तर कोरियोनिक फ्रुंडोसम लाता है यही आगे चलकर प्लेसेंटा का निर्माण करता है।
- प्रत्येक कोरियोनिक विली एक शाखित संरचना होती है जिसका विकास एक मूल नलिका द्वारा होता है। इस मूल नलिका में फ्रुंडोसम भ्रूणीय रक्त वाहिनियां गर्भनाल धमनी एवं नस होती है।
- ये कोरियोनिक विली मातृत्व से संयोजित हो जाते हैं एवं प्लेसेंटा का निर्माण करता है।
- 6वे सप्ताह मैं बनना शुरू हो जाता है। 12वे सप्ताह से लेकर 20वे सप्ताह तक प्लेसेंटा का भार भ्रूण की तुलना में अधिक होता है।
प्लेसेंटा में रक्त परिसंचरण कैसे होता है।
भ्रूणीय रक्त जो कि तुलनात्मक कम ऑक्सीजनित होता है भ्रूण के हृदय द्वारा प्लेसेंटा की ओर दो नाभि धमनियां (Umbilical arteries), की शाखाओं से होता हुआ कोरियोनिक विली तक पहुंच जाता हैं।
- कोरियोनिक विली के समीप ही रक्त कोटर या इटरविलस स्पेस होता है इसमें मातृ रक्त भरा होता है यह मातृ रक्त या भ्रूण का खून की तुलना में उच्च पोषक पदार्थों युक्त एवं आक्सिकृत होता है।
- रक्त में पदार्थों के आदान-प्रदान के पश्चात शुद्ध रक्त एक नाभि शिरा के द्वारा भ्रूण के हृदय तक पहुंचा दिया जाता है जहां से वह संपूर्ण भ्रूण को वितरित कर दिया जाता है।
प्लेसेंटा के कार्य क्या होते हैं।

- मातृ एवं भ्रूणीय रक्त के माध्यम द्वारा महत्वपूर्ण पदार्थों का आदान-प्रदान आवश्यक पदार्थों का विनिमय प्लेसेंटा के द्वारा होता है।
- विसरण- (Diffusion)
- कोशिका पायन- (Pinocytosis)
- सक्रिय अभिगमन- (Active transportation)
- प्लेसेंटा द्वारा पोषक पदार्थों का भ्रूण के लिए अवशोषण किया जाता है
- मातृ एवं भ्रूणीय रक्त के माध्यम गैसों (O2 एवं CO2), का आदान प्रदान करता है।
- उदाहरण के तौर पर- खसरा प्रतिरक्षी रसायन।
- चेचक प्रतिरक्षी रसायन।
- पोलियो प्रतिरक्षी रसायन।
- प्लेसेंटा के माध्यम से ही IgM एवं IgG जैसी Antibodies द्वारा भ्रूण को प्रतिरक्षा प्रदान की जाती है।
प्लेसेंटा द्वारा भोजन का संग्रहण (Glycogen) रूप में भी किया जाता है। यह (Glycogen) आवश्यकता होने पर पुनः ग्लूकोज में परिवर्तित होकर शरीर की पोषण आवश्यकताओं को पूरा करती है।
प्लेसेंटा, अंतस्रावी ग्रंथियां भी कार्य करती हैं। इसके द्वारा निम्न हार्मोन स्रावित होते हैं।
एच.सी.जी. (HCG)- (, Human Chorionic Gonadotrophin),
यह कोरियोनिक विली की ट्रोफोब्लास्ट परत द्वारा स्रावित होता हैं। इसकी सर्वाधिक मात्रा 7 से 10 सप्ताह के मध्य होती है यह गर्भावृद्धि बढ़ने के साथ-साथ मात्रा में कम होता जाता है। इसका मुख्य कार्य (Carpus luteum) को वृद्धि को प्रोत्साहित करना है। इस हार्मोन की अतिरिक्त मात्रा स्त्री के मूत्र में उपस्थित होती है। जिससे गर्भावस्था का पता लगाया जा सकता है।
एस्ट्रोजन हार्मोन (Oestrogen),
आरंभ में यह हार्मोन (Carpus luteum) स्रावित होता है। का प्रमुख कार्य प्लेसेंटा का रख-रखाव एवं मरम्मत करना है परंतु जैसे-जैसे कार्पस लुटियम की क्रियाशीलता कम होती जाती है प्लेसेंटा स्वयं यह हार्मोन स्रावित करने लगता है।
प्रोजेस्टेरोन हार्मोन (Progesterone),
कार्पस लुटियम मुख्यतः 3 माह तक सक्रिय रहता है। एवं प्रोजेस्टेरोन हार्मोन गर्भावस्था को बनाए रखने में मदद करता है इसका स्राव प्रसव क्रिया आरंभ होने तक होता है।
एच.पी.एल. (HPL)- (Human Placental Lactogen),
यह गर्भावस्था के दौरान ग्लूकोज उपापचय मैं भूमिका निभाता है।
रिलेक्सिन (Relaxin),
प्रसव के समय रिलेक्सिन हार्मोन, प्रसव आसान बनाने हेतु अंडाशय एवं प्लेसेंटा द्वारा रिलेक्सिन हार्मोन का स्रावित होता है। यह हार्मोन (Pelvic-girdle) की जघन सहवर्धन (pubicsymphysis), संधि को ढीला कर देता है जिसके फलस्वरूप दोनों मेखलाएं, एक दूसरे से दूर हट जाती हैं एवं शिशु को बाहर निकलने के लिए अधिक मार्ग उपलब्ध हो जाता है।
मैं आशा करती हूं कि आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा।।
धन्यवाद!! (by GS India Nursing, Lucknow, India)…
Dr. Shanu AK…….!!
Dr. Anu……..!!