हाय दोस्तों, इस आर्टिकल में हम गर्भावस्था चेकलिस्ट एवं प्रेग्नेंसी टेस्ट किट, से संबंधित संपूर्ण जानकारी सही एवं सटीक प्राप्त करेंगे। इस आर्टिकल में हम निम्न प्रश्नों के उत्तर के बारे में समझेंगे। (Dr. Anu, Gynecologist, Kanpur).
गर्भावस्था चेकलिस्ट:
बच्चों के मध्य अंतराल रखने या परिवार सीमित करने के लिए उपलब्ध गर्भनिरोधक विधियों को देने से पहले यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि महिला कहीं गर्भवती तो नहीं है।
- प्रसव होने के बाद 6 महीने से पूरी तरह से स्तनपान करा रही है और उसे माहवारी नहीं हुई है।
- पिछली माहवारी या प्रसव के बाद से अभी तक असुरक्षित संभोग नहीं किया है।
- पिछले 4 सप्ताह में अपने बच्चे को जन्म दिया है।
- माहवारी शुरू होने के बाद पहले से सातवां दिन है।
- गर्भपात के बाद पहले से सातवां दिन है।
- लगातार और सही ढंग से भरोसेमंद गर्भनिरोधक का इस्तेमाल कर रही है।
महिला हां या ना में उत्तर देगी:
यदि महिला ने सारे प्रश्नों का उत्तर नहीं में दिया है। तो गर्भधारण की स्थिति को नकारा नहीं जा सकता है लाभार्थी को मासिक आने का इंतजार करना चाहिए या गर्भावस्था सुनिश्चित करने के लिए परीक्षण करवाना चाहिए।
यदि महिला ने कम से कम एक प्रश्न का उत्तर हां में दिया है। और उसको गर्भधारण के कोई भी लक्षण नहीं है तो लाभार्थी को वांछित विधि प्रदान करें।
ध्यान रखने योग्य बातें प्रेग्नेंसी टेस्ट करने से पहले:
प्रेग्नेंसी टेस्ट करने से पहले ध्यान रखें कि 3 घंटे तक टॉयलेट ना गई हो । और इस में उपयोग की जाने वाली सामग्री साफ-सुथरी हो। साथ ही घरेलू टेस्ट के बाद डॉक्टर से परामर्श भी लेनी चाहिए। किसी गलती की वजह से या ठीक से जानकारी ना होने की वजह से टेस्ट के परिणाम गलत भी हो सकते हैं।
प्रेग्नेंसी टेस्ट किट या निश्चय किट:
अगर किसी महिला के महावारी नियत तारीख से 1 सप्ताह ज्यादा चढ़ गई हो तो निश्चय किट के द्वारा गर्भावस्था की जांच की जा सकती है। निश्चय किट में एक टेस्ट कार्ड एक डिस्पोजेबल ड्रॉपर तथा नमी सूखने वाला पैकेट होता है।
प्रेग्नेंसी टेस्ट कैसे करें:
- सुबह के मूत्र को साफ और सूखे कंटेनर में या प्लास्टिक की बोतल में भर लें।
- टेस्ट स्ट्रिप के बीच वाले हिस्से (टेस्ट विंडो) को न छुए ।
- टेस्ट किट के साथ दिए गए ड्रॉपर की मदद से स्ट्रिप पर पेशाब की 2-3 बूंदें डालें।
- 5 मिनट तक प्रतीक्षा करें।
- यदि परीक्षण क्षेत्र (T) में दो बैगनी रंग की रेखाएं आती है तो महिला गर्भवती है।
- यदि परीक्षण क्षेत्र (T) मैं केवल एक बैगनी रंग की रेखा है तो महिला गर्भवती नहीं है।
- यदि परीक्षण क्षेत्र (T) मैं कोई रंग रेखा नहीं है तो अगली सुबह नए निश्चय किट का उपयोग करके परीक्षण दोहराएं।
प्रेग्नेंसी किट कैसे काम करती है:
यह के प्रमुख रूप से मूत्र में एचसीजी (ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन), हार्मोन की मौजूदगी का पता करती है असल में जब निषेचन की प्रक्रिया पूरी होती है और निषेचित अंडा गर्भाशय में स्थापित होता है उस दौरान शरीर में एचसीजी हार्मोन बनने लगता है गर्भधारण होने के शुरुआती कुछ दिनों में शरीर में एचसीजी हार्मोन का लेवल तेजी से बढ़ता है जिससे यह हार्मोन महिला के पेशाब में भी मौजूद रहता है महिला के पेशाब में एचसीजी हार्मोन की उपस्थिति यह दर्शाती है कि वह गर्भवती है।
आमतौर पर पीरियड वाले दिन से 4 से 5 दिन बाद इस किट की मदद से आप यह जांच कर सकती है कि आपके मूत्र में एचसीजी हार्मोन है या नहीं कुछ महिलाओं में तो पीरियड ना आने के एक दिन बाद ही जांच करने पर रिजल्ट पॉजिटिव आ जाते हैं यह बात काफी हद तक ही की गुणवत्ता और संवेदनशीलता पर निर्भर करती है।
प्रेग्नेंसी टेस्ट कब करना चाहिए:
सबसे अहम सवाल यही है की पीरियड मिस होने के कितने दिन बाद प्रेग्नेंसी टेस्ट कैसे करें। आमतौर पर पीरियड मिस होने के बाद एक हफ्ते बाद आप प्रेग्नेंसी किट के माध्यम से गर्भधारण का पता लगा सकती हैं। प्रेग्नेंसी किट बनाने वाली कुछ कंपनियों का दावा है कि आप निर्धारित तारीख पर पीरियड ना आने के एक या 2 दिन बाद भी उनकी किट से गर्भावस्था की जांच कर सकते हैं।
प्रेग्नेंसी के शुरुआती लक्षण बिना टेस्ट के कैसे जाने:
पीरियड का मिस होना:
पीरियड का मिस होना सबसे अहम माना जाता है अगर 1 हफ्ते या इससे ज्यादा दिन तक पीरियड नहीं हुआ है। तो इसकी वजह से प्रेग्नेंसी हो सकती है हालांकि पीरियड मिस होने की कई वजह हो सकते हैं। स्ट्रेस या हारमोंस में उतार-चढ़ाव भी पीरियड मिस होने की वजह से हो सकता है।
उल्टी आना या जी मिचलाना:
सुबह-सुबह महिला को मॉर्निंग सिकनेस आते हैं। और दिन के किसी भी वक्त या रात में भी जी मिचलाना या उल्टी आना भी प्रेग्नेंसी का लक्षण है ज्यादातर यह लक्षण प्रेग्नेंसी के पहले महीने में देखा जाता है।
बार बार टॉयलेट जाना:
बार बार टॉयलेट जाना या पीरियड मिस होने के साथ अगर आपको टॉयलेट सामान्य की अपेक्षा ज्यादा बार जाना पड़ता है तो यह लक्षण भी प्रेग्नेंसी की ओर इशारा करता है प्रेग्नेंसी के दौरान शरीर का खून बढ़ने से ब्लैडर मैं ज्यादा मात्रा में फ्लूइड इखट्टा होता है।
ब्रेस्ट में हल्का दर्द या भारीपन:
प्रेग्नेंसी के शुरुआती दिनों में हॉरमोन्स में बदलाव की वजह से ब्रेस्ट में भारीपन यह हल्का दर्द महसूस होता है हॉरमोन्स की एडजस्ट हो होते ही कुछ हफ्तों में यह दिक्कत खत्म हो जाती है।
हल्का बुखार रहना:
शरीर में बाहर से कुछ भी आता है तो इसका रिएक्शन होता है शरीर का तापमान बढ़ना भी एक तरफ का ऐसा ही रिएक्शन है प्रेग्नेंसी होने पर आपको हल्की हरारत महसूस हो सकती है। बुखार आने की एक और वजह यह भी हो सकती है की प्रेग्नेंट होने पर शरीर की इम्युनिटी घट जाती है ऐसा इसलिए होता है ताकि आपका प्रतिरक्षा तंत्र भ्रूण को खतरा समझ कर उसे रिजेक्ट ना करने लगे इसलिए इस वक्त दूसरे इंफेक्शन की वजह से बुखार आ जा सकता है।
मैं आशा करती हूं कि आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा।।
धन्यवाद!! (by GS India Nursing, Lucknow, India)…
Dr. Shanu AK…….!!
Dr. Anu……..!!