रेबीज (Rabies)–
एक घातक वायरस संक्रमित जानवरों की लार से लोगों में फैलता है। रेबीज आमतौर पर जानवरों के काटने से फैलता है, उदाहरण के लिए, आवारा कुत्तों से।
रेबीज एक संक्रामक बीमारी है। जो मनुष्य सहित सभी प्रकार के गर्म खून वाले जीवो को प्रभावित कर सकती है। यह विकार संक्रमित जानवर की लार द्वारा प्रेषित होता है, और न्यूरोट्रॉपिक लाईसिसिवर्स वायरस के कारण होता है। जो लार ग्रंथियों और केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है। वायरस संक्रमित पशुओं के काटने और खरोचने से मनुष्य में फैलता है।
रेबीज के प्रमुख लक्षण
इन्फेक्शन फैलने से अनैच्छिक छटके अनियंत्रित उत्तेजना, सुस्ती और श्वास का पक्षाघात होना।
बुखार, मतली और सिरदर्द।
पानी पीने का प्रयत्न करने पर अचानक ऐंठन, सांस में रुकावट।
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रेबीज बीमारी के लक्षण संक्रमित पशुओं के काटने के बाद या कुछ दिनों में लक्षण प्रकट होने लगते हैं ,लेकिन अधिकतर मामलों में रोग के लक्षण प्रकट होने में कई दिनों से लेकर कई वर्षों तक लग जाते हैं। रेबीज बीमारी का एक खास लक्षण यह है कि जहाँ पर पशु काटते हैं उस जगह की मासपेशियों में सनसनाहट की भावना पैदा हो जाती है। विषाणु के रोगों के शरीर में पहुँचने के बाद विषाणु नसों द्वारा मष्तिक में पहुँच जाते हैं, और निम्नलिखित लक्षण दिखाई देने लगते हैं जैसे;
मांसपेशियों में जकड़न होना।
घूमना-फिरना ज्यादा हो जाता है।
चिड़चिड़ा होना था उग्र स्वाभाव होना।
व्याकुल होना।
अजोबो-गरीबो विचार आना।
कमजोरी होना तथा लकवा हों।
लार व आंसुओं का बनना ज्यादा हो जाता है।
तेज रौशनी, आवाज से चिड़न होने लगते हैं।
दर्द होना
थकावट महसूस करना।
सिरदर्द होना।
बुखार आना।
बोलने में बड़ी तकलीफ होती है।
अचानक आक्रमण का धावा बोलना।
पालतू पशुओं को रेबीज से बचाने उपाय
अगर आप एक जिम्मेदार पशुपालक हों तो, अपने कुत्ते, बिल्लियों का टीकाकरण सही समय पर कराते रहना चाहिए। टीकाकरण केवल अपने पशुओं के लिए ही लाभदायक नहीं होता बल्कि आप भी सुरक्षित रहते हैं।अपने पालतू पशुओं के संपर्क में न सकें।अगर आपका पशु किसी जगंली पशु द्वारा काट लिया गया है, तो जल्दी से जल्दी अपने पशु चिकित्सक से संपर्क कर उचित सलाह लेनी चाहिए।अगर आपको लगता है आपके आस पड़ोस में कोई रेबीज संक्रमित पशु घूम रहा है तो उसकी सुचना सरकारी अधिकारी को देनी चाहिए।ताकि उसे पकड़ा जा सके।जंगली पशुओं को देखने का नजारा दूर से ही लें।उन्हें खिलाएं नहीं, उनके शरीर पर हाथ न लगायें और उनके मल-मूत्र से दूर रहें। जंगली पशुओं को कभी भी घर में नहीं रखना चाहिए तथा बीमार पशुओं का उपचार स्वयं नहीं करें, जरूरत पड़ने पर पशु चिकित्सक से सम्पर्क करें। छोटे बच्चों को बताएं कि जंगली पशुओं से नहीं खेलें यहाँ तक कि अगत वे पशु दोस्ताना व्यवहार करें। तब भी बच्चों को समझाने का सही तरीका यह है, कि केवल पशुओं को प्यार करें बल्कि सबको अलग छोड़ दें।चमगादड़ को घर में आने से रोकें, मंदिर-मजिस्द, ऑफिस-स्कुल आदि में भी जहाँ उनका सम्पर्क लोगों या पशुओं से हो।
अपने गाँव, कस्बे या शहर से बाहर जाते हैं तो खासकर कुत्तों से सावधान रहें, क्योंकि करीब 20 हजार लोग रेबीज वाले कुत्ते के काटने से हमारे देश में प्रतिवर्ष मरते हैं।
रेबीज रोग कैसे होता है?
रेबीज एक बीमारी है, जो कि रेबीज नामक विषाणु से होते हैं, यह मुख्य रूप से पशुओं की बीमारी है, लेकिन संक्रमित पशुओं द्वारा मनुष्यों में भी हो जाती हैं, यह विषाणु संक्रमित पशुओं के लार में रहता है , जब कोई पशु मनुष्य को काट लेता है , तो यह विषाणु मनुष्य के शरीर में प्रवेश कर जाता है।
रेबीज के लक्षण कितने दिन में दिखते हैं?
मरीज को शुरू के एक-दो दिन में बुखार, भूख न लगना, कमजोरी, चिड़चिड़ापन आदि की समस्या होने लगती है। जानवर के काटने से हुए जख्म में तेज दर्द, जलन रहती है। 2-3 दिनों बाद न्यूरोलॉजिकल सिम्टम शुरू होते हैं।
कुत्ते के काटने के कितने दिन बाद रेबीज फैलता है?
कुत्ता काटने के 20 दिन बाद हो सकता है, रेबीज,
इससे बचाव के लिए जरुरी है ,कि पीड़ित, एण्टी रैबीज वैक्सीन जरुर लगवा लें।
क्या सभी कुत्तों में रेबीज होता है?
रेबीज सभी कुत्तों के काटने से नहीं होता है। अगर कोई कुत्ता रेबीज से संक्रमित है, और वो किसी को काट लेता है, तो रेबीज हो सकता है।
रेबीज में कौन सा अंग प्रभावित होता है?
एक बार रेबीज वायरस शरीर में प्रवेश करता है। यह तंत्रिका में प्रवेश करने से पहले बढ़ जाता है। यह केंद्रीय तंत्रिका तंत्र यानि कि रीढ़ की हड्डी से मस्तिष्क में पहुँच जाता है। एक बार वायरस केंद्रीय तंत्रिका तंत्र में पहुँच जाएं, इसके बाद यह लार ग्रंथियों, फेफड़े, गुर्दे और अन्य अंगों में फैल जाता है।
रेबीज के कितने टीके लगते हैं?
डॉ जीपी कौशल ने बताया कि रेबीज के पांच इंजेक्शन लगते हैं। इसमें सामान्य लोगों को भी तीन इंजेक्शन पहले ही लगवा लेना चाहिए। इससे जब कभी भी कुत्ता काटेगा तो रेबीज जल्दी असर नहीं करेगी और मरीज को सिर्फ बचे दो इंजेक्शन ही लगवाने होंगे।
कुत्ते का इंजेक्शन कितने दिन काम करता है?
अगर किसी कारण नहीं लगवाया गया तो 72 घंटे में हर हाल में एंटी रेबीज टीका लग जाना चाहिए। एक एंटी रेबीज टीका 3 वर्ष तक काम करता है। अगर टीका लगवाने के 3 वर्ष तक कोई कुत्ता काट लेता है, तो रेबीज संक्रमण को कोई असर नहीं होगा।
पागल कुत्ता काटने से कौनसा रोग होता है?
रेबीज : जानवर जैसे ;कुत्ता, बंदर, सुअर, चमगादड़ आदि के काटने से जो लार व्यक्ति के खून में मिल जाती है, उससे रेबीज नामक बीमारी होने का खतरा रहता है। रेबीज रोग सीधे रोगी के मानसिक संतुलन को खराब कर देता है।
कुत्ते का दांत लगने पर क्या किया जाए?
प्याज का रस, अखरोट की गिरी को बराबर मात्रा में पीस लें। उसमें नमक और शहद मिलाकर उस जगह पर लगाएं जहां कुत्ते ने काटा है। इस लेप को लगाने के बाद पट्टी बांध लें। ऐसा करने से शरीर पर कुत्ते के जहर का असर जल्दी नहीं होता है।
कुत्ता काटने के कितने दिन बाद एंटी रैबीज इंजेक्शन ले?
कुत्ते या अन्य किसी जानवर के काटे जाने के बाद 72 घंटे के अंदर एंटी रेबीज वैक्सीन का इंजेक्शन अवश्य ही लगवा लेना चाहिए।
कुत्ते से रेबीज कैसे फैलता है?
रेबीज का वायरस संक्रमित जानवरों की लार ग्रंथियों (salivary glands) में मौजूद होता है। जब ये संक्रमित जानवर (infected animal) किसी को भी काटता है , तो ये वायरस घाव के जरिए शरीर में प्रवेश कर जाता है। फिर मस्तिष्क तक पहुंचता है और सेंट्रल नर्वस सिस्टम में स्थापित हो जाता है।
संक्रामित कुत्ते के काटने से कौनसा रोग होता है?
पागल कुत्ते के काटने से रैबीज या हाइड्रोफोबिया रोग होता है। रेबीज़ एक विषाणु जनित बीमारी है, जिस के कारण अत्यंत तेज इन्सेफेलाइटिस (मस्तिष्क का सूजन) इंसानों एवं अन्य गर्म रक्तयुक्त जानवरों में हो जाता है ।
रेबीज वायरस कितने समय तक जिंदा रहता है?
हृदय या रेस्पिरेटरी फेलियर से हो जाती है मौत,
इससे उसमें पानी का डर (हाइड्रोफोबिया) पैदा हो जाता है। रेबीज से संक्रमित व्यक्ति की मानसिक स्थिति बिगड़ जाती है। जल्द ही वह कोमा में चला जाता है और आमतौर पर हृदय या रेस्पिरेटरी फेलियर के कारण एक सप्ताह से भी कम समय में मर सकता है।
कुत्ता काटने के बाद क्या परहेज करना चाहिए?
आपको कुछ चीज से परहेज करने की कोई जरुरत नहीं है, और न ही किसी चीज को अलग से खाने की। जैसा पहले चल रहा था वैसे ही चलने दे। बाकी आपको कुछ ख्याल रखना जैसे की अपने घाव पर मरहम जैसे हल्दी, साबुन से धोना आदि। आपको इसके बाद डॉक्टर के पास जाना जरूरी होता है।
रेबीज इंजेक्शन साइड इफेक्ट्स
हालांकि वैक्सीन के साइड इफेक्ट नहीं हैं। अगर पागल कुत्ता काटे तो इसका असर तीन दिन, तीन सप्ताह, तीन महीने और तीन साल बाद भी हो सकता है। रैबीज का असर होने के बाद कोई इलाज नहीं होता।
रेबीज के टीके की खोज किसने की और कब की?
लुई पॉश्चर ने 6 जुलाई, 1885 में जानवरों से इंसानों में फैलने वाली वायरस जनित बीमारियों के लिए दुनिया का पहला टीका (रेबीज) विकसित किया था। टीका विकसित करने में उनके योगदान के लिए उन्हें ‘फादर ऑफ माइक्रोबॉयोलॉजी’ भी कहा जाता है।
धन्यवाद!!