टॉ़यफायड बुखार (Typhoid fever)

टॉ़यफायड बुखार (Typhoid fever)

It’s called enteric fever (इसे एंटेरिक फीवर कहते हैं।)

यह जीवाणुओं से संबंधित सैल्मोनेला टाइफी नामक एक जीवाणु के कारण होता है, जो food poisoning (खराब खाना खाने से हुई बीमारी) साल्मोनेला उत्पन्न करता है।

टाइफाइड बुखार एक संक्रमण है, जो दूषित भोजन और पानी से फैलता है।टायफ़ायड ज्वर एक जीवाणु संक्रमण है जो कई अंगो को प्रभावित करता है और पूरे शरीर में फ़ैल सकता है। शीघ्र उपचार न करने पर यह गंभीर जटिलताओं का कारण बन सकता है और घातक हो सकता है।टायफ़ायड ज्वर अत्यंत संक्रामक रोग है। कोई भी संक्रमित व्यक्ति इसके जीवाणु अपने शरीर से मल अथवा कभी कभी पेशाब के माध्यम से फैला सकता है।

यदि कोई व्यक्ति थोड़ी मात्रा में भी मल अथवा पेशाब से संक्रमित आहार खाता अथवा पानी पीता है तो वह भी इस जीवाणु से संक्रमित हो सकता है और टायफ़ायड ज्वर से पीड़ित हो सकता है।

टाइफॉइड एक गैस्ट्रोइंटेस्टिनल इंफेक्शन है, जो साल्मोनेला टाइफी के कारण होता है। टाइफॉइड होने पर तेज बुखार, डायरिया और उल्टी मुख्य रूप से होता है। दूषित पानी या भोजन के जरिए इस बैक्टीरियल इंफेक्शन के होने की संभावना काफी हद तक बढ़ जाती है। एस. टाइफी मुंह के जरिए आपकी आंतों में प्रवेश करके वहां लगभग एक से तीन सप्ताह तक रहता है। उसके बाद आंतों की दीवार के जरिए आपके रक्तप्रवाह में प्रवेश कर जाता है। खूने से ये टाइफॉइड बैक्टीरिया अन्य ऊतकों और अंगों में फैलकर कोशिकाओं के अंदर छिप जाता है, जिसका पता आपकी प्रतिरक्षा कोशिकाएं भी नहीं लगा पाती हैं। टाइफॉइड के लिए बेहतर इलाज उपलब्ध है। हालांकि, इलाज ना कराने से यह आपके लिए घातक हो सकता है। टाइफॉइड की संभावित जटिलताओं में किडनी फेलियर, गंभीर जीआई रक्तस्राव आदि शामिल हैं। कुछ अनुमानों के अनुसार, टाइफ़ॉइड से प्रभावित लगभग 3-5 प्रतिशत लोग इस जीवाणु के वाहक बन जाते हैं। एसिम्प्टोमेटिक लोग भी टाइफॉइड बैक्टीरिया के वाहक बन सकते हैं।

टाइफाइड की पहचान क्या है?

बैक्टीरिया के संपर्क में आने के 6 से 30 दिनों के बाद लक्षण दिखना शुरू होते हैं। टाइफाइड के दो प्रमुख लक्षण, बुखार और शरीर पर होने वाले दाने हैं। टाइफाइड बुखार धीरे-धीरे बढ़कर 104 डिग्री तक बढ़ जाता है। मरीज के शरीर पर दानें नजर आए, यह जरूरी नहीं, लेकिन ये गर्दन और पेट पर गुलाबी धब्बों के रूप में नजर आते हैं।

टाइफॉइड के लक्षण;-

टायफायड के रोगियों को बैक्टीरिया के संपर्क में आने के लगभग 1-3 सप्ताह बाद लक्षण दिखाई देते हैं। गंभीरता के आधार पर रोग की अवधि 3 से 4 सप्ताह तक भी हो सकती है। सामान्य इंक्यूबेशन समय 7 से 14 दिन है। टाइफॉइड के कुछ प्रमुख लक्षण इस प्रकार हैं:-

सिरदर्द
कब्ज या डायरिया
तेज बुखार (103° फेरेनहाइट)
भूख ना लगना

ठंड लगना
दर्द और कमजोरी महसूस होना
पेट में दर्द

लिवर और स्प्लीन का बढ़ जाना
सीने पर लाल रंग के निशान
थकान

टाइफॉइड के कारण :-

टाइफॉइड बुखार तब होता है, जब कोई व्यक्ति ऐसे खाद्य पदार्थों और पानी का सेवन करता है, जिसमें एस टाइफी बैक्टीरिया की मात्रा बहुत अधिक होती है। इसके अलावा, एक टाइफाइड रोगी के मल (Stool) से उसके चारों-तरफ होने वाली पानी की आपूर्ति भी दूषित हो सकती है। इसके बदले में मरीज के चारों-तरफ होने वाला फूड सप्लाई चेन भी दूषित हो सकता है।

टाइफॉइड का निदान :-

यदि आपके लक्षणों को देखने के बाद डॉक्टर को लगेगा कि यह टाइफॉइड हो सकता है, तो वह कुछ टेस्ट करवाने के लिए बोल सकता है। साल्मोनेला टाइफी आपके शरीर में मौजूद है या नहीं, इसका पता लगाने के लिए ब्लड, स्टूल, यूरिन कल्चर या बोन मैरो टेस्ट करवाना पड़ सकता है। बोन मैरो कल्चर को टाइफाइड बैक्टीरिया के लिए सबसे संवेदनशील टेस्ट माना जाता है। डॉक्टर टाइफॉइड डीएनए और एंटीबॉडीज की जांच के लिए अन्य ब्लड टेस्ट करवाने का सुझाव भी दे सकता है।

टाइफॉइड का उपचार :-

सामान्यतः टायफ़ायड ज्वर का एंटीबायोटिक दवाईयों के कोर्स से सफलतापूर्वक उपचार किया जा सकता है।

एंटीबायोटिक्स जैसे सिप्रोफ्लैक्सिन (ciproflaxin) और सेफ्ट्रिएक्जोन (ceftriaxone) आमतौर पर टाइफॉइड के इलाज में दिया जाता है। एजिथ्रोमाइसिन (Azithromycin) भी इसके इलाज का एक दूसरा विकल्प है। हालांकि, ये प्रेग्नेंट महिलाओं को खाने के लिए नहीं दी जाती हैं। टाइफॉइड के गंभीर मामलों में कई बार आंतों में छेद हो जाता है, जिसे सिर्फ सर्जरी के जरिए ही ठीक किया जा सकता है।

टाइफॉइड में खानपान :-

टाइफॉइड बुखार होने पर इससे पीड़ित लोगों में पाचन या गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल से संबंधित समस्याएं होती हैं। इस बैक्टीरियल इंफेक्शन से संबंधित लक्षणों में भूख न लगना और मतली शामिल है। आप एक हेल्दी और बैलेंस डायट लेकर टाइफॉइड को आसानी से मैनेज कर सकते हैं। पोषण विशेषज्ञ छोटे, मगर कम अंतराल पर भोजन करने की सलाह देते हैं। टाइफाइड होने पर आसानी से पचने वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए। टाइफॉइड से निपटने के लिए डायट में कार्ब्स, फैट और प्रोटीन के संतुलन को बनाए रखने की आवश्यकता होती है। लक्षणों को कम करने और उपचार प्रक्रिया को सुचारू बनाए रखने के लिए आप इन फूड्स का सेवन करें:- हाई-कैलोरी युक्त डायट लें। टाइफॉइड में वजन काफी कम हो जाता है। कैलोरी से भरपूर आहार के सेवन से वजन फिर से बढ़ा सकते हैं।

शरीर का वजन बढ़ाने के लिए रोटी, केला, उबला हुआ आलू अधिक खाएं। तरल पदार्थ अधिक लें। टाइफॉइड में तेज बुखार और डायरिया होने से शरीर में पानी की कमी हो जाती है। शरीर में तरल पदार्थ के स्तर में कमी होने से उपचार में समस्याएं आ सकती हैं। पर्याप्त पानी और ताजे फलों से तैयार जूस का सेवन अधिक करें। उबले हुए चावल, बेक्ड आलू खाएं। इन्हें पचाना आसान होता है। अपने भोजन में प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ जैसे फलियां, पनीर और दही शामिल करें। मांस के सेवन से परहेज करें, क्योंकि इसे पचाना आसान नहीं होगा। हाई फाइबर, मसालेदार और तली-भुनी चीजों को खाने से परहेज करें। घी, मक्खन और डेयरी उत्पादों को भी कुछ दिनों तक खाने से बचें।

टाइफॉइड से बचाव:- WHO टाइफॉइड से बचाव के लिए दो टीकों की सिफारिश करता है, जिसमें से एक निष्क्रिय टीका शॉट (inactivated vaccine shot) और दूसरा लाइव टीका (Live) है।

वैक्सीन शॉट :- यह इंजेक्शन 2 वर्ष से अधिक उम्र के लोग ले सकते हैं। उच्च जोखिम वाली श्रेणी में आने वाले लोगों के लिए इस खुराक को बार-बार लेने की सलाह दी जाती है।

ओरल वैक्सीन :- यह 6 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को दी जा सकती है। यह 4 गोलियों के पैक में आता है, जिनमें से तीन को अल्टरनेट डेज पर लेना होता है। डॉक्टर आखिरी टैबलेट आपको एक सप्ताह पहले लेने की सलाह दे सकता है, जब आपको किसी हाई टाइफॉइड प्रभावित स्थान पर जाना हो। सभी कैप्सूल को खाना खाने से एक घंटे पहले लेना होता है। इन कैप्सूल को फ्रिज में रखना जरूरी होता है। उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए डॉक्टर प्रत्येक 5 साल में इस टीके की एक बूस्टर खुराक लेने की सलाह देते हैं। वैक्सीन के अलावा कई अन्य उपाय ऐसे हैं, जिन्हें अपनाकर आप टाइफॉइड से बचे रह सकते हैं;

स्ट्रीट फूड से परहेज करें। यहां टाइफॉइड बैक्टीरिया के पनपने की संभावना अधिक होती है।

हाथों की साफ-सफाई का ख्याल रखें। खाना खाने से पहले और वॉशरूम से आने के बाद हाथों को साबुन से धोएं।

घर का बना ताजा और गर्म खाना खाएं, क्योंकि उच्च तापमान में बैक्टीरिया के बढ़ने की संभावना कम हो जाती है।

कच्ची सब्जी, फल खाने और दूषित पानी पीने से बचें।

घर के बर्तनों को साफ-स्वच्छ पानी से धोएं।

टाइफाइड छूने से फैलता है?

आप भोजन या मल से दूषित पानी पीने से टाइफाइड बुखार प्राप्त कर सकते हैं। ऐसा अक्सर किसी के बाथरूम जाने के बाद हाथ न धोने के कारण होता है। आप किसी ऐसे व्यक्ति के निकट संपर्क से भी टाइफाइड बुखार प्राप्त कर सकते हैं जिसे यह है।

जीवाणु शरीर को कैसे प्रभावित करते हैं:-

किसी व्यक्ति द्वारा सैल्मोनेला टाइफी जीवाणु से ग्रसित पेय अथवा खाने के पश्चात, जीवाणु उनके पाचन तंत्र में जाता है और तत्पश्चात जल्द ही जीवाणुओं में वृद्धि होगी जिससे उच्च ताप, पेट दर्द और कब्ज़ अथवा दस्त जैसे प्रारम्भिक लक्षण उत्पन्न हो सकते है।

यदि कोई व्यक्ति उपचार नहीं करवाता है तो उसके रक्तप्रवाह में जीवाणु प्रवेश कर सकते है जिसका अर्थ है कि वह शरीर के अन्य भागों में फैल सकते हैं। पाचन तंत्र से जीवाणुओं के फैलने से टायफ़ायड ज्वर के लक्षण, संक्रमण होने के पश्चात आने वाले सप्ताहों में और खराब हो सकते हैं।

यदि संक्रमण के कारण यह अंग व उसके मांस-तंतु नष्ट हो जाते है तो यह विकट जटिलतायें, जैसे की आंतरिक रक्तस्त्राव अथवा आंत्र विभाजन का एक भाग, उत्पन्न कर सकते हैं।

जीवाणु शरीर में रहने वाले छोटे, सिंगल-सेल वाले जीव होते हैं। कुछ अस्वस्थता और रोग पैदा कर सकते हैं और इनमें से कुछ आपके लिये अच्छे हो सकते हैं।

अस्थिओं के केन्द्र से उत्पन्न होने वाली रक्त कोशिकाओं में स्थित अस्थि मज्जा (बोन मार्रों) एक कोमल, स्पंजी रचना होती है।

शौच जाने पर बारम्बार जलीय मल त्यागने को दस्त कहते हैं।

मल अवशेष का बना एक ठोस तत्व होता है को मल-त्याग प्रणाली से शरीर से बाहर आता है।

धन्यवाद!!

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