MTP, क्या है आइए जानते हैं (परिभाषा):
एमटीपी (Medical Termination of Pregnancy) यह गर्भपात वह प्रक्रिया है जिसमें गर्भ का समापन दवाई या शल्य चिकित्सा द्वारा किया जाता है। लगभग 8 प्रतिशत मातृ मृत्यु असुरक्षित गर्भपात के कारण होती है।
भारतीय संसद में 1971 में चिकित्सकीय गर्भपात अधिनियम (Medical Termination of Pregnancy Act या MTP Act) पारित किया था।
गर्भावस्था की तरह 28 सप्ताह की अवधि पूर्व गर्भावस्था को जानबूझकर समाप्त करना इंडक्शन ऑफ अबॉर्शन कहलाता है। इंडक्शन ऑफ अबॉर्शन कानूनी या गैर कानूनी हो सकता है इंडक्शन ऑफ अबॉर्शन का लीगल विधि एमटीपी कहलाता है।
MTP को MTP Act-1971 द्वारा मान्यता प्राप्त है इसे अप्रैल 1972 में लागू किया गया।
20 सप्ताह की गर्भावस्था पूर्व मां के स्वास्थ्य एवं जीवन के लिए लाभदायक स्थिति को लाने के लिए गर्भावस्था का समापन जिससे एक (Registered Medical Practitioner) द्वारा एमटीपी एक्ट 1971 के तहत किया जाता है चिकित्सा गर्भावस्था समापन एमटीपी कहलाता है।
गर्भपात किन स्थितियों में किया जा सकता है।
- गर्भ के रखने से महिला के जीवन को खतरा हो या उसके करण महिला के शारीरिक अथवा मानसिक स्वास्थ्य को गहरी चोट पहुंच सकती है।
- पैदा होने वाले बच्चे को शारीरिक एवं मानसिक असामानताएं होने की संभावना हो सकती है।
- विवाहित महिला या उसके पति द्वारा अपनाई गई गर्भनिरोधक विधि की असफलता।
- बलात्कार के बाद गर्भावस्था।
- मां को अधिक संक्रमण होने पर।
एमटीपी संशोधन अधिनियम 2021 के प्रमुख प्रावधान: (New guidelines of MTP act 2021)-
एमटीपी संशोधन अधिनियम 2021 के अनुसार, गर्भ समापन की अवधि 20 सप्ताह से बढ़ाकर 24 सप्ताह कर दी गई है। एमटीपी एक्ट 1971 के अनुसार, यह अवधि 20 सप्ताह तक थी।
गर्भनिरोधक विधि या डिवाइस की विफलता के कारण समाप्ति:
अधिनियम के तहत गर्भनिरोधक विधि या उपकरण की विफलता के मामले में एक विवाहित महिला द्वारा 20 सप्ताह तक के गर्भ को समाप्त किया जा सकता है यह विधेयक अविवाहित महिलाओं को भी गर्भनिरोधक विधि या डिवाइस की विफलता के कारण गर्भावस्था को समाप्त करने की अनुमति देता है।
गर्भ की समाप्ति के लिए चिकित्सकों से राय लेना आवश्यक:
- गर्भधारण के 20-24 सप्ताह तक के गर्भ की समाप्ति के लिए दो पंजीकृत के चिकित्सकों की राय आवश्यक हो गई।
- गर्भधारण से 20 सप्ताह तक के गर्भ की समाप्ति के लिए एक पंजीकृत चिकित्सक की राय की आवश्यकता होती है।
- भ्रूण से संबंधित गंभीर असामान्यता के मामले मैं 24 सप्ताह के बाद गर्भ की समाप्ति के लिए राज स्त्तरीय मेडिकल बोर्ड की राय लेना आवश्यक होती है।
विशेष श्रेणियों के लिए अधिकतम गर्भावधि सीमा:
महिलाओं की विशेष श्रेणियों (इसमें दुष्कर्म तथा अनाचार से पीड़ित महिलाओं तथा अन्य कमजोर महिलाओं जैसे दिव्यांग महिलाओं और नाबालिक आदि) के लिए गर्भ काल गर्भावधि की सीमा को 20 से 24 सप्ताह करने का प्रावधान किया गया है।
गोपनीयता:
गर्भ को समाप्त करने वाली किसी महिला का नाम और अन्य विवरण वर्तमान कानूनी में अधिकृत व्यक्ति को छोड़कर किसी के भी समझ प्रकट नहीं किया जाएगा ।
गर्भपात डॉक्टरों द्वारा किया जाएगा:
- अधिनियम में केवल स्त्री रोग या प्रसूति में विशेषज्ञता सकता वाले डॉक्टरों द्वारा गर्भपात कराए जाने का प्रावधान है
- ग्रामीण क्षेत्रों में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में ऐसे डॉक्टरों की 75% कमी है इसीलिए गर्भवती महिलाओं को सुरक्षित गर्भपात के लिए सुविधाओं तक पहुंचाने में मुश्किल हो सकती है।
गर्भपात से संबंधित कानून:
- विशेष स्थितियों के लिए भारत में 24 सप्ताह तक का गर्भपात कानूनन मान्य है।
- मान्यता प्राप्त स्थान पर प्रशिक्षित सेवा प्रदाता से गर्भपात कराना ही सुरक्षित और कानूनी है।
- यदि महिला 18 वर्ष से अधिक आयु की है तो उसके स्वयं की लिखित सहमति (written consent) से गर्भपात किया जा सकता है।
- अप्रशिक्षित व्यक्ति द्वारा या किसी गैर मान्यता प्राप्त स्थान पर गर्भपात कराना कानून के अंतर्गत एक दंडनीय अपराध है।
गर्भपात की विधियां:
- गर्भ की पहली तिमाही में गर्भपात अथवा अधूरे गर्भपात को पूर्ण करने के तरीके।
- सर्जिकल विधि वेक्यूम ऐसपिरेशन (वी.ए.)।
- औषधि गर्भपात (एम. एम. ए.)।
- मैनुअल वैक्यूम ऐसपिरेशन (एम.वी.ए.)।
- इलेक्ट्रिक वैक्यूम ऐसपिरेशन (ई.वी.ए.)।
खतरे के लक्षण:
गर्भपात का चयन करने से पहले इस प्रक्रिया के दौरान होने वाले संभावित खतरों के लक्षणों के विषय में महिला को अवश्य बताएं कि यदि वह इनमें से किसी भी लक्षण को देखे या महसूस करें तो तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर जाए या सेवा प्रदाता से संपर्क करें खतरे के लक्षण हैं।
- अत्यधिक खून आना, 1 घंटे में दो पैड तक भीग जाना और यदि ऐसा लगातार दो घंटों तक हो या 2 सप्ताह से अधिक खून आए।
- पेट में दर्द लगातार बने रहना।
- कई दिनों तक बुखार आना या योनि से बदबूदार स्राव होना।
- दूसरी गोली लेने के बाद बिल्कुल भी खून ना जाना या बहुत कम खून आना।
- औषधिय गर्भपात के 6 सप्ताह बाद तक भी दोबारा महावारी ना आना।
गर्भपात के बाद गर्भधारण की संभावना:
पहली तिमाही: (गर्भपात के 11 दिन के बाद).
दूसरी तिमाही: (गर्भपात के 2-4 सप्ताह से).
गर्भपात के बाद जल्दी गर्भधारण होने से मां व शिशु को खतरा होने की संभावना बढ़ जाती है। अतः यह जरूरी है कि गर्भपात के बाद महिला कम से कम 6 महीने तक गर्भधारण ना करें और परिवार नियोजन का कोई ना कोई साधन अवश्य अपनाएं।
गर्भपात के बाद परिवार नियोजन:
गर्भपात के बाद देखभाल का एक महत्वपूर्ण पहलू परिवार नियोजन परामर्श और विधियों का इस्तेमाल करना है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके की महिला भविष्य में अनियोजित गर्भधारण से बची रहे।
मैं आशा करती हूं। कि आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा।।
धन्यवाद!! (by GS India Nursing Lucknow)…