सर्वाइकल कैंसर क्या है, और यह कैंसर कैसे फैलता है?
गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर को सर्वाइकल कैंसर कहते हैं। गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर यानी सर्वाइकल कैंसर के लगभग सभी मामले ह्यूमन पैपिलोमा वायरस की वजह से होते हैं यह एक आम वायरस है जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में संभोग के दौरान जा सकता है। ह्यूमन पैपिलोमा वायरस इतना आम है कि ज्यादातर लोग अपनी जिंदगी में इससे जरूर संक्रमित होते हैं। इसमें कोशिकाएं गर्भाशय ग्रीवा के प्रवेश द्वार के स्तर में असामान्य रूप से विकसित होती हैं जो निचले गर्भाशय की गर्दन या संकीर्ण हिस्सा होता है कम उम्र में कई यौन संबंध होने या यौनशक्ति होने से गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर के विकास की संभावना बढ़ जाती है कैंसर के लक्षण जल्दी सामने आने पर जीवित रहने की संभावना ज्यादा होती है डॉक्टर एक निवारक उपाय के रूप में पैक टेस्ट करवाने की सलाह दे सकता है।
सर्वाइकल कैंसर से संबंधित ध्यान देने योग्य बातें –
बच्चेदानी के मुंह पर कैंसर महिलाओं में होने वाले कैंसर में दूसरे स्थान पर आता है, यह न केवल रोका जा सकता है, अपितु इसे बहुत जल्दी पकड़ा जा सकता है, और समय पर पकड़ा जाए तो इसका पूर्णता इलाज भी संभव है, बच्चेदानी से गंदे पानी का रिसाव, माहवारी का अनियमित होना, संभोग के समय खून आना, कमर या पैर में अधिक दर्द होना या पेशाब में रुकावट इस के प्रारंभिक लक्षण हैं, अधिक बच्चे होना कई पुरुषों से यौन संबंध गुप्तांगों की सफाई में कमी या एड्स इसके खतरे को बढ़ा देते हैं, पर खुशखबरी यह है, कि इसके बचाव के लिए वैक्सीन उपलब्ध है, जो 9 साल की उम्र से लेकर 45 वर्ष तक की महिलाओं को दी जानी चाहिए, नियमित पैंप स्मियर द्वारा इसको पहली स्टेज से भी पहले पकड़ा जा सकता है, पहली स्टेज में ऑपरेशन या रेडियो थेरेपी द्वारा इसका इलाज किया जा सकता है, यदि कैंसर दूसरी स्टेज से ऊपर है, तो रेडियो थेरेपी के साथ कीमोथेरेपी के प्रयोग से इस पर विजय पाई जा सकती है, एडवांस स्टेज में भी रोगी के लक्षणों को काबू किया जा सकता है, और उम्र का बढा पाना संभव है, रेडियोथैरेपी में किरणों द्वारा बिना किसी दर्द के मिनटों में इसका इलाज किया जा सकता है, टेली थेरेपी और ब्रेकीथेरेपी दोनों के प्रयोग से महिला पूरी तरह स्वस्थ होकर सुखमय जीवन व्यतीत कर सकती है, आखिरी स्टेज में भी इम्यूनोथेरेपी से इस को काबू किया जा सकता है, इसलिए डरने की कोई जरूरत नहीं है, कैंसर के लक्षणों को समय रहते पहचानिए, यौन संबंधों में सतर्कता बरतें, गुप्तांगों की सफाई का विशेष ध्यान रखें, नियमित जांच करवाएं, वैक्सीन लगवाए, कोई कैंसर का लक्षण हो तो, उसे अनदेखा न करें, कैंसर स्पेशलिस्ट से तुरंत इलाज करवाएं, अच्छा भोजन खाएं, वायाम करें और हंसते खेलते मुस्कुराते हुए अपने परिवार के साथ आनंद जीवन व्यतीत करें, सदा स्वस्थ रहें, सतर्क रहें और डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
बच्चेदानी में इन्फेक्शन क्यों होता है –
गर्भाशय ग्रीवा,जो गर्भाशय के सबसे निचला हिस्सा होता है, तथा गर्भाशय का प्रवेश द्वार होता है, आमतौर पर बैक्टीरिया को गर्भाशय से बाहर रखता है, परंतु प्रसव तथा सर्जरी के दौरान जब गर्भाशय ग्रीवा खुली होती है, बैक्टीरिया गर्भ में प्रवेश कर सकते हैं, यही बैक्टीरिया एंडोमेट्राइटिस का कारण बनता है।
सर्वाइकल कैंसर कितने प्रकार के होते हैं ?
सर्वाइकल कैंसर निम्न प्रकार के होते हैं
1️⃣ मेटास्टैटिक सर्वाइकल कैंसर,
2️⃣ स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा ,
3️⃣ एडिनोकार्सिनोमा ,
1️⃣ मेटास्टैटिक सर्वाइकल कैंसर – इसने जब सर्वाइकल कैंसर ग्रीवा के अलावा शरीर के कई हिस्सों में फैल जाता है तो इसे मेटास्टैटिक सर्वाइकल कैंसर कहा जाता है।
2️⃣ स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा – इसमें 80 से 90% सर्वाइकल कैंसर के मामले स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा की वजह से होते हैं,जो गर्भाशय ग्रीवा के निचले भाग में परतदार, सपाट कोशिकाएं में होता है।
3️⃣ एडिनोकार्सिनोमा – इसमें जब कैंसर के ट्यूमर ग्रीवा के ऊपरी हिस्से में ग्लैंड की कोशिकाओं में विकसित होते हैं तब इसे एडिनोकार्सिनोमा कहा जाता है।
सर्वाइकल कैंसर के लक्षण एवं उपचार – सर्वाइकल कैंसर के लक्षण निम्न प्रकार से होते हैं, इसमें सामान्य ग्रीवा के कैंसर के लक्षणों में पेल्विक दर्द योनि से बदबूदार निर्वाहन, पीरियड से पहले और बाद में रक्त स्राव और यौन गतिविधि के दौरान असुविधा का अनुभव होता है। गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर के लक्षणों के साथ संक्रमण हो सकता है, और उपलब्ध ग्रीवा कैंसर उपचार के विकल्प सर्जरी, रेडियोथैरेपी, कीमोथेरेपी है।
मैं आशा करती हूं कि आप सभी को यह आर्टिकल पसंद आया होगा।
धन्यवाद!!
Dr. Reena Singh Post Graduate in Nursing.
by GS India Nursing!!