आईएलओ ( ILO)(अंतर्राष्ट्रीय मजदूर संगठन),
यूएनएफपीए (UNFPA)(संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष),*

अंतर्राष्ट्रीय मजदूर संगठन (ILO)- अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन एक संयुक्त राष्ट्र एजेंसी है, जिसका जनादेश अंतर्राष्ट्रीय श्रम मानकों को स्थापित करके सामाजिक और आर्थिक न्याय को आगे बढ़ाना है। राष्ट्र संघ के तहत अक्टूबर 1919 में स्थापित, यह संयुक्त राष्ट्र की पहली और सबसे पुरानी विशेष एजेंसी है।

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अंतर्राष्‍ट्रीय श्रम संगठन (ILO) काम की दुनिया के लिए संयुक्‍त राष्‍ट्र की एजेंसी है। यह अंतर्राष्‍ट्रीय श्रम मानक तय करती है, काम की जगह पर अधिकारों को प्रोत्‍साहित करती है और रोजगार के उत्‍कृष्‍ट अवसरों के लिए प्रोत्‍साहित करती है, काम से जुड़े मुद्दों पर संवाद को पुष्‍ट करना तथा सामाजिक संरक्षण बढ़ाना।अंतरराष्ट्रीय श्रमिक संगठन (आईएलओ) मजदूर वर्ग के लोगों के लिये अंतरराष्ट्रीय नियमों के उल्लंघन की सभी शिकायतों को देखता है। इसके पास त्रिकोणिय संचालन संरचना है अर्थात् “सरकार, नियोक्ता और मजदूर का प्रतिनिधित्व करना (सामान्यतया 2:1:1 के अनुपात में)” सरकारी अंगों और सामाजिक सहयोगियों के बीच मुक्त और खुली चर्चा उत्पन्न करने के लिये, अंतरराष्ट्रीय श्रमिक कार्यालय के रूप में अंतरराष्ट्रीय श्रमिक संगठन सचिवालय कार्य करता है।अंतरराष्ट्रीय श्रमिक संगठन (आईएलओ) के कार्यों में अंतरराष्ट्रीय श्रमिक सम्मेलन, स्वीकार करना या कार्यक्रम आयोजित करना, मुख्य निदेशक को चुनना, मजदूरों के मामलों के बारे में सदस्य राज्य के साथ व्यवहार, अंतरराष्ट्रीय श्रमिक कार्यालय कार्यवाही की जिम्मेदारी के साथ ही जाँच कमीशन की नियुक्ति के बारे में योजना बनाने या फैसले लेने के लिये संस्था को अधिकार प्राप्त है। अंतरराष्ट्रीय श्रमिक संगठन (आईएलओ) के पास लगभग 28 सरकारी प्रतिनिधि हैं, 14 नियोक्ता प्रतिनिधि और 14 श्रमिकों के प्रतिनिधि हैं। जिसमें भारत से भारतीय मजदूर संघ की भुमिका अहम मानी जाती है। आम नीतियाँ बनाने के लिये, कार्यक्रम की योजना और बजट निर्धारित करने के लिये जून के महीने में जेनेवा में वार्षिक आधार पर ये एक अंतरराष्ट्रीय श्रमिक सभा आयोजित करता है (श्रमिकों की संसद के पास 4 प्रतिनिधि हैं, 2 सरकारी, 1 नियोक्ता और 1 मजदूरों का नुमाइंदा)।

ILOक्या है?

ILO संयुक्त राष्ट्र की एक एजेंसी है जो दुनियाभर में श्रम मानकों में सुधार लाने की दिशा में काम करती है। रिपोर्ट में चेताया गया है कि अफगानिस्तान में रोजगार की लगातार बिगड़ती स्थिति के चलते बाल श्रम को बढ़ावा मिल सकता है। मुल्क में पांच से 17 साल के दस लाख से ज्यादा बच्चों के काम करने का अनुमान है।

अंतर राष्ट्रीय श्रम संगठन का मुख्यालय कहाँ है?

इस संगठन का मुख्यालय स्विट्ज़रलैंड के जेनेवा में स्थित है। वर्तमान में 187 देश इस संगठन के सदस्य हैं, जिनमें से 186 देश संयुक्त राष्ट्र के 193 सदस्य देशों में से हैं तथा एक अन्य दक्षिणी प्रशांत महासागर में अवस्थित ‘कुक्स द्वीप’ (Cook’s Island) है।

अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के अध्यक्ष कौन हैं?

श्रम एवं रोजगार मंत्रालय में सचिव अपूर्व चंद्रा ने अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (International Labour Organisation- ILO) के शासी निकाय के अध्यक्ष के रूप में अक्टूबर 2020 – जून 2021 की अवधि तक पद धारण करने के बाद 25 जून, 2021 को अपना कार्यकाल पूरा किया।

ILO साथी निकाय कितने सदस्यों से बना है?

शाषी निकाय (जीबी) आईएलओ का शीर्ष कार्यकारी निकाय है जो नीतियों, कार्यक्रमों, एजेंडे, बजट का निर्धारण करता है और महानिदेशक का चुनाव का कार्य भी करता है। वर्तमान समय में आईएलओ के 187 सदस्य हैं। श्री अपूर्व चन्द्रा नवंबर 2020 में होने वाली शाषी निकाय की आगामी बैठक की अध्यक्षता करेंगे।

मजदूर आंदोलन कब हुआ था?

वर्ष 1903-08 के स्वदेशी आंदोलन तक मज़दूरों की काम करने की स्थिति को बेहतर बनाने के लिये कोई ठोस प्रयास नहीं किया गया था। वर्ष 1915-1922 के बीच फिर से होमरूल आंदोलन और असहयोग आंदोलन के साथ-साथ श्रमिक आंदोलन का पुनरुत्थान हुआ।

अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के उद्देश्य,

अंतर्राष्ट्रीय श्रम संघ का मुख्य उद्देश्य संसार के श्रमिक वर्ग की श्रम और आवास संबंधी अवस्थाओं में सुधारना तथा पूर्ण रोजगार का लक्ष्य प्राप्त करने पर केंद्रित अंतरराष्ट्रीय क्रिया-कलापों को प्रोत्साहित करना है।

अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के सिद्धांत क्या था?

ILO का एक प्रमुख उद्देश्य सामाजिक संवाद, सामाजिक सुरक्षा तथा रोज़गार सृजन को बढ़ावा देने के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय श्रम मानकों के तहत सभी को सभ्य कार्य प्रदान करना है। विकास भागीदारों के समर्थन द्वारा ILO इन उद्देश्यों को प्राप्त करने में 100 से अधिक देशों को तकनीकी सहायता प्रदान करता है।

आईएलओ की स्थापना कब हुई,

1919

UNFPA (संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष) –

संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष UNFPA, पूर्व में जनसंख्या गतिविधियों के लिए संयुक्त राष्ट्र कोष, संयुक्त राष्ट्र की एक एजेंसी है जिसका उद्देश्य दुनिया भर में प्रजनन और मातृ स्वास्थ्य में सुधार करना है।

संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष की स्थापना कब हुई?

1969

वर्ल्ड पापुलेशन रिपोर्ट 2021 कौन जारी करता है?

हाल ही में ,संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (United Nations Population Fund- UNFPA) ने ‘माय बॉडी इज़ माय ओन’ (My Body is My Own) शीर्षक से विश्व जनसंख्या रिपोर्ट (World Population Report)- 2021 जारी की।

जनसंख्या वृद्धि का मुख्य कारण क्या है?

जनसंख्या वृद्धि का एक प्रमुख कारण जीवन प्रत्याशा का बढ़ना है। मृत्यु-दर में कमी होने से जीवन प्रत्याशा में भी वृद्धि होती है। जन्म-दर एवं मृत्यु-दर दो ऐसे कारक हैं जो जीवन प्रत्याशा को प्रभावित करते है। भारत में सन् 1921 में जीवन प्रत्याशा 20 वर्ष थी जो वर्तमान में बढ़कर 63 वर्ष हो गयी है।

भारत में प्रति वर्ष जनसंख्या में लगभग प्रतिवर्ष कितनी वृद्धि हो जाती है?

2010 से 2019 के बीच भारत में 1.2% की सालाना दर से जनसंख्या बढ़ी है। जबकि इसी दौरान चीन की जनसंख्या वृद्धि दर 0.5% रही है। वर्तमान में जनसंख्या की दृष्टि से भारत का विश्व में दूसरा और चीन का पहला स्थान है। भारत की जनसंख्या 136 करोड़ है, जबकि चीन की आबादी 142 करोड़ है।

जनसंख्या वृद्धि से क्या क्या हानि होती हैं?

बेरोजगारी में वृद्धि

कृषि भूमि पर अत्यधिक दबाव

ध्वनि प्रदूषण

मृदा प्रदूषण

प्राकृतिक संसाधनों का शोषण

जीवन स्तर में गिरावट

पर्यावरण प्रदूषण

सबसे अधिक आबादी वाला देश कौन सा है?

चीन की सरकार द्वारा जारी सातवीं राष्ट्रीय जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक सभी 31 प्रांतों स्वायत्त क्षेत्रों और नगरपालिकाओं को मिलाकर चीन की जनसंख्या 1.41178 अरब हो गई है। इस तरह सबसे ज्यादा जनसंख्या वाले देश के रूप में इसका स्थान बरकरार है।

जनसंख्या नियंत्रण कैसे करें?

संभोग-स्थगन

गर्भपात

गर्भनिरोध

शिशु मृत्युदर को कम करना जिससे लोगों का डर (बच्चों के न बचने का) कम हो और वे अनावश्यक बच्चे न पैदा करें।

विश्व संख्या दिवस कब मनाया जाता है?

विश्व जनसंख्या दिवस हर वर्ष 11 जुलाई को मनाया जाने वाला कार्यक्रम है।

जनगणना 2021 की थीम क्या है?

इस साल विश्व जनसंख्या दिवस 2021 की थीम ‘कोविड-19 महामारी का प्रजनन क्षमता पर प्रभाव’ है।

भारत में जनगणना कौन करवाता है?

1949 के बाद से यह भारत सरकार के गृह मंत्रालय के अधीन भारत के महारजिस्ट्रार एवं जनगणना आयुक्त द्वारा कराई जाती है। 1951 के बाद की सभी जनगणनाएं 1948 की जनगणना अधिनियम के तहत कराई गईं। अंतिम जनगणना 2011 में कराई गई थी, तथा आगामी जनगणना 2021 में कराई जाएगी।

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