हाय दोस्तों, इस आर्टिकल में हम सूतिकावस्था (puerperium period) और लोकिया (Lochia) के बारे में अच्छी तरीके से विस्तार में समझेंगे। (Dr. Anu, Gynecologist)
- सूतिकावस्था क्या है?
- लोकिया क्या है?
- लोकिया के प्रकार क्या है?
- लोकिया कब तक रहता है?
- लोकिया के लक्षण क्या हैं?
- लोकिया का प्रबंधन कैसे करें?
सूतिकावस्था क्या होता है:
सूतिकावस्था (Puerperium) शिशुजन्म के बाद प्लेसेंटा का निष्कासन होने की बाद की अवधि है। इसमें महिला के शारीरिक अंग एवं ऊतक विशेषतः जनन अंग पूर्व गर्भावस्था की स्थिति में वापस लौटते हैं। इस स्थिति को सूतिकावस्था कहा जाता है। सामान्यतः इसकी अवधि 42 दिन या 6 सप्ताह मानी जाती है। इस अवधि के दौरान महिला की उचित देखभाल महत्वपूर्ण है। पूरी तरह से स्वस्थ होना सुनिश्चित करने के लिए प्रसव के बाद प्रसर्वोत्तर जांच की जानी चाहिए। और इस दौरान आपके शारीरिक अंगों में परिवर्तन होता है। डिलीवरी के बाद कई हफ्तों तक ब्लीडिंग होती है।
लोकिया क्या है:
यह सूतिकावस्था के दौरान प्रथम दिन से 28 दिन तक योनि से होने वाला स्राव होता है। लोकिया डिस्चार्ज पीरियड्स की तरह ही होता है इसमें सिर्फ यही अंतर है कि यह लंबे समय तक रहता है और ज्यादा मात्रा में होता है। जिसका निर्माण गर्भाशय ग्रीवा एवं योनि द्वारा होता है।
- गंध- इसमें बदबूदार या अप्रिय गंध होती है जो मछली की गंध की तरह होती है।
- प्रकृति- लोकिया आरंभ में क्षारीय प्रकृति युक्त होता है परंतु सूतिकावस्था के अंत में अम्लीय प्रकृति का हो जाता है।
यदि आपकी नॉर्मल डिलीवरी हुई है तो लोकिया बर्थ कैनाल के माध्यम से आपके शरीर से बाहर निकलता हैं जब योनि से बाहर निकालता है तो उस दौरान आपको थोड़ा संकुचन महसूस होता है। यदि आप की डिलीवरी सी-सेक्शन के माध्यम से हुई है तो प्लेसेंटा को सर्जरी के द्वारा हटा दिया जाता है। दोनों ही मामलों में आप की ब्लीडिंग का अनुभव अलग होगा।
लोकिया के प्रकार कितने होते हैं:
लोकिया डिस्चार्ज के रंग के आधार पर निर्भर करता है। यह तीन प्रकार का होता है प्रत्येक चरण में इसकी समय सीमा हर महिला में अलग-अलग होती है।
लोकिया रुब्रा-
इस चरण में ब्लड फ्लो ज्यादा होता है। और इसका रंग लाल होता है। यह है प्रथम दिन से चौथे दिन तक (1-4) रहता है। यह मुख्य रूप से ज्यादा मात्रा में ब्लड क्लॉट फीटल मेंब्रेन, मेकोनियम, डेसीडुआ, और सर्वाइकल डिस्चार्ज होता है। पीरियड्स के समान होने वाले क्रैम्प होते हैं और साथ में दर्द का अनुभव होता है। क्योंकि ब्लीडिंग के दौरान आपको गर्भाशय में संकुचन महसूस होते हैं। यदि डिस्चार्ज 7 दिनों से अधिक समय तक जारी रहता है तो यह असामान्य रूप से आपको ब्लड क्लॉट होता है।
लोकिया सेरोसा–
इस चरण में रक्त पतला होने लगता है और इसका रंग गहरे लाल से पीला होने लगता है। इस दौरान इसका रंग गुलाबी या भूरा-लाल भी हो सकता है। और यह डिलीवरी की लगभग 5 से 9 दिन तक रहता है। डिस्चार्ज में रेड ब्लड सेल्स कम और वाइट ब्लड सेल्स ज्यादा होंगे। और इसके अलावा सर्वाइकल म्यूकस और प्लेसेंटा को कुछ फ्लूट भी डिस्चार्ज के जरिए बाहर आता है। और अगर यह 6 सप्ताह से अधिक होता है तो तुरंत डॉक्टर को जानकारी देना चाहिए।
लोकिया अल्बा-
इस अवधि में लोकिया का रंग हल्का पीला होता है यह 10 से 14 दिन का होता है आप देखेंगे कि डिस्चार्ज सफेद होने लगता है और ब्लड डिस्चार्ज बंद हो जाएगा। यह म्यूकस वाइट ब्लड सेल्स डेसीडुआ और एपिथेलियल सेल्स से बनता है। अंतिम चरण में होता है और यह गर्भाशय को पूरी तरह से ठीक कर देता है इस चरण के बाद स्पॉटिंग पूरी तरह से बंद हो जाती है।
लोकिया के कारण:
लोकिया हर महिला में डिलीवरी के बाद होने वाली एक सामान्य घटना है यह कोई बीमारी या गर्भावस्था से संबंधी कोई समस्या नहीं है जैसा कि पहले यह डिलीवरी के बाद यूट्रस लाइनिंग की शेडिऺग या पील होने के कारण होता है। डिलीवरी के बाद शरीर को रिकवर करने की आवश्यकता होती है ताकि गर्भाशय गर्भावस्था से पहले वाली स्थिति में वापस आ सके।
- कुछ महिलाओं को डिलीवरी के बाद पीड़ादायक संकुचन का अनुभव हो सकता है इससे उन्हें ज्यादा मात्रा में ब्लड क्लॉट के साथ ब्लीडिंग होती है और फिर धीरे-धीरे फ्लो कम होने लगता है।
- प्रीमेच्योर और मामले में नोकिया कम होता है और जुड़वा गर्भावस्था के मामले में अत्यधिक हो सकता है।
लोकिया के लक्षण-
- स्तनपान कराने से गर्भ सिकुड़ जाता है और आपको पीरियड्स बाले क्रैम्प महसूस होने लगते हैं जिसे आफ्टर-पेन कहा जाता है स्तनपान के दौरान ब्लीडिंग ज्यादा हो सकती है।
- कभी-कभी हो सकता है कि आपकी योनि में रक्त जमा हो जाए और आपको उठते बैठते या अपने पैरों को फैलाते समय ज्यादा फ्लो का अनुभव हो यह सामान्य है इसलिए चिंता ना करें।
- लोकिया जीवाणुरहित है इस क्षेत्र में बैक्टीरिया मौजूद होने के कारण पीरियड्स के दौरान आने वाले रक्त में दुर्गंध होती है यदि यह बदबूदार या इसकी गंध बहुत खराब है तो यह इंफेक्शन का संकेत हो सकता है।
- आपको शारीरिक गतिविधियां या एक्सरसाइज के बाद ज्यादा मात्रा में ब्लड फ्लो हो सकता है इसलिए आपको अच्छी तरह से आराम की जरूरत है।
डिलीवरी के बाद ब्लीडिंग को कैसे प्रबंधन करें:
डिलीवरी के बाद होने वाली लोकिया की प्रक्रिया सामान्य और आवश्यक है। आपको बस स्वच्छता पर खासकर ध्यान देना चाहिए। और अपने पर्सनल हाइजीन पर विशेष ध्यान रखना चाहिए।
- पहले से ही ज्यादा मात्रा में सेनेटरी पैड स्टॉक करके रखना चाहिए और उन्हें कुछ समय के अंतराल पर बदलती रहे। शुरुआती कुछ दिनों में आपको ज्यादा सोचने वाले पैड की आवश्यकता हो सकती है।
- हैवी एक्सरसाइज और बहुत ज्यादा शारीरिक गतिविधियों से बचना चाहिए।
- इस दौरान संभोग करने से बचे हैं ताकि बैक्टीरिया को फैलने से रोका जा सके।
- किसी भी इन्फेक्शन से बचने के लिए टैम्पोन या मैं मेन्स्ट्रल कप के उपयोग से बचें।
- आप ब्लड फ्लो को कम करने के लिए विच हेजल ब्लू कोहोश, रसभरी की पत्ती की चाय आदि हर्बल उपचार को आजमाने की कोशिश कर सकती हैं।
- अपने डाइट में हरी पत्तेदार सब्जियां एवं फल आदि का सेवन करना चाहिए। और अपनी डाइट में आयरन भी शामिल कर सकती है।
महत्वपूर्ण पूर्ण जानकारी लोकिया के बारे में:
अगर आपको डिलीवरी के बाद निम्न लक्षण में से किसी का भी अनुभव हो तो तुरंत डॉक्टर को जानकारी दें। कि आप गर्भाशय में इंफेक्शन से पीड़ित हो आपको डिलीवरी के बाद बवासीर की समस्या से पीड़ित भी हो सकती है प्लेसेंटा का कोई टुकड़ा छूट गया हो तो अभी भी गर्भाशय की दीवार से जुड़ा हुआ हो।
- अगर आपको ठंड लगने साथ बुखार भी आता है।
- पेट के निचले हिस्से में दर्द होना और यह दर्द कई दिनों तक जारी रहता है।
- अत्यधिक थकान एवं चक्कर आना।
- पेट का मुलायम पडना।
- ब्लड लॉस ज्यादा होना।
- गंध के साथ लोकिया होना बैक्टीरियल इंफेक्शन का संकेत हो सकता है।
- यदि आपको समय के साथ कम होने की वजह ज्यादा मात्रा में डिस्चार्ज होने लगे तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
पेरिनियल घाव की देखभाल कैसे करे:
- मल और मूत्र करने के बाद हर बार घाव को शॉवर से साफ करना चाहिए।
- यदि घाव खुल जाता है तो संक्रमण होने का खतरा रहता है।
- नैपकिन को लगातार बदलने और व्यक्तिगत स्वच्छता बनाए रखने से घाव के ठीक होने में तेजी आ सकती है।
मैं आशा करती हूं कि आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा।।
धन्यवाद!! (by GS India Nursing, Lucknow, India)…
Dr. Sanu AK……!!
Dr. Anu….!!