(HIV/AIDS) एचआईवी/एड्स क्या है इसके लक्षण, रोकथाम, एड्स का पहला मरीज भारत और विश्व में कब और कहां मिला था?

हाय दोस्तों, इस आर्टिकल में हम एचआईवी/एड्स से संबंधित संपूर्ण जानकारी सही एवं सटीक प्राप्त करेंगे। इस आर्टिकल में हम निम्न प्रश्नों के उत्तर के बारे में समझेंगे। (Dr. Anu, Gynecologist, Kanpur).

  • एड्स (AIDS) क्या है?
  • एड्स के लक्षण क्या है?
  • एड्स कैसे फैलता है?
  • एड्स का पहला मरीज भारत एवं विश्व में कब मिला था?
  • भारत में पहली बार एड्स नियंत्रण कार्यक्रम कब लागू किया गया था?
  • एड्स का निदान/डायग्नोसिस कैसे किया जाता है?
  • एड्स की रोकथाम कैसे की जा सकती है?
  • एड्स के लिए ड्रग आफ़ चॉइस (drugs of choice for AIDS) क्या है?

एड्स/HIV से संबंधित महत्वपूर्ण बिंदु: (Key points of HIV/AIDS) (Exams Points):

  • एड्स एचआईवी से संबंधित महत्वपूर्ण बिंदु निम्न है-
  • एड्स”, HIV नामक वायरस से फैलता है।
  • एड्स (AIDS) का पूरा नाम- एक्वायर्ड इम्यूनोडिफिशिएंसी सिंड्रोम (Acquired Immuno Deficiency Syndrome)
  • HIV का पूरा नाम – हुमन इम्यूनोडिफिशिएंसी वायरस (Human Immunodeficiency Virus)
  • एड्स का पहला मरीज भारत के चेन्नई शहर में, 1986 में मिला था।
  • भारत में एड्स का पहला मरीज 1986 में मिलने के कारण, भारत सरकार ने एड्स नियंत्रण कार्यक्रम की शुरुआत 1987 में की थी।
  • एचआईवी (HIV) का पहला मामला विश्व में अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में 1981 में पाया गया था।
  • एचआईवी (HIV) से संक्रमित व्यक्ति का पता लगाने के लिए एलिसा टेस्ट किया जाता है।

एड्स (AIDS) क्या है?

एड्स एक अत्यधिक गंभीर संक्रामक बीमारी है। जो एचआईवी नामक वायरस के द्वारा फैलती है। एचआईव (HIV) का फुल फॉर्म एक्वायर्ड एमिनो डेफिशियेन्सी सिंड्रोम (Acquired Immuno Deficiency Syndrome) होता है। एड्स पीड़ित व्यक्तियों का एम्युन सिस्टम (Immune System) कमजोर हो जाता है।

एचआईवी (HIV) वायरस क्या होता है?

वर्तमान में हम सभी एड्स से भली-भांति परिचित हैं। इसका (प्रेरक एजेंट मानव इम्यूनो डेफिसिएंसी वायरस) होता है। जिसे लिम्फैडेनोपैथी वायरस (LAV) भी कहा जाता है। एचआईवी एक एकल फंसे हुए आरएनए रेट्रोवायरस (Single stranded RNA retrovirus) होता है। जिसमें रिवर्स ट्रांसक्रिपटेस एंजाइम पाया जाता है। इसकी सहायता से यह RNA नई श्रंखला (chain) का निर्माण करता है। यह DNA मनुष्य के शरीर की कोशिकाओं के DNA से संयोजित हो जाता है। एवं HIV-DNA अनेक प्रतिलिपियां (duplicate copies) तैयार करता है जिससे कोशिका की मृत्यु हो जाती है

HIV मनुष्य की CD4 या T- cells कोशिका के DNA से संयोजित होता है इससे वायरस के विरुद्ध शरीर की एंटीबॉडी निष्क्रिय रहती है। एवं बड़ी मात्रा में T-cells के नष्ट होने के कारण शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। जिससे अनेक प्रकार के संक्रमण हो जाते हैं अतः रोगी की मृत्यु हो जाती है।

Red ribbon AIDS awareness

एड्स कैसे फैलता है? (Mode of transmission):

HIV मुख्य रूप से चार प्रकार से फैलता है।

  • असुरक्षित यौन संबंध बनाने से। ऐसी व्यक्ति जो एक से अधिक यौन संबंध बनाते हैं उनको एचआईवी का ज्यादा होने का खतरा रहता है।
  • एचआईवी इनफेक्टेड सुई एवं सर्जिकल उपकरण को पुनः उपयोग में लाने पर।
  • एचआईवी इनफेक्टेड ब्लड चढ़ाने पर। यदि किसी एचआईवी पीड़ित व्यक्ति का रक्त किसी नॉर्मल व्यक्ति को डोनेट किया जाता है या चढ़ाया जाता है तो ऐसे नॉर्मल व्यक्ति के शरीर में एचआईवी वायरस प्रवेश कर जाता है।
  • एचआईवी इनफेक्टेड गर्भवती माता से उसके शिशु में फैल जाने से। यदि कोई गर्भवती महिला एचआईवी इनफेक्टेड है तो उसके बच्चे को एचआईवी होने का खतरा रहता है। ‌

Vertical transmission– मां से बच्चे में एचआईवी संक्रमण वर्टिकल ट्रांसमिशन (सीधा संपर्क) के माध्यम से फैलता है। संभोग के दौरान मेल टू फीमेल इंफेक्शन की संभावना फीमेल टू मेल इंफेक्शन की तुलना में अधिक होती है क्योंकि (Semen) मैं एचआईवी की संख्या अधिक होती है साथ ही अंतर्गर्भाशयी श्लेष्मा मैं पेनाइल म्यूकोसा की तुलना में ब्रेक होते हैं।

एड्स के लक्षण क्या है?

प्राइमरी लक्षण-

  • कमजोरी आना।
  • बुखार रहना।
  • दस्त लगना
  • असहज रहना।
  • सिर दर्द रहना
  • गले में दर्द होना।
  • लसिका गांठो में समस्याएं उत्पन्न होना।
  • त्वचा पर चकत्ते होना।
  • अलसीपन होना।
  • वजन घटना।

सेकेंडरी लक्षण-

  • तेजी से वजन घटना।
  • व्यक्ति चिड़चिड़ा रहता है।
  • अतिसार।
  • कपोसी सारकोमा हो जाना।
  • एचआईवी एन्सेफैलोपैथी हो जाना।
  • वेस्टिंग सिंड्रोम।
  • T-hepler cell count
  • सर्वाइकल कैंसर हो जाना।
  • व्यक्ति की मृत्यु हो जाना।

एड्स का निदान/डायग्नोसिस कैसे किया जाता है?

  • व्यक्ति का पूर्ण इतिहास संग्रह लेना।
  • लक्षणों की स्क्रीनिंग की जानी चाहिए।
  • इम्यूनोफ्लोरेसेंस परख।

एलिसा टेस्ट (ELISA test)- (Enzyme-linked immunosorbent assay) एलिसा टेस्ट एलिसा, जो एंजाइम से जुड़े इम्युनोसॉरबेंट परख के लिए होती हैं इसका उपयोग एचआईवी संक्रमण का पता लगाने के लिए किया जाता है। यदि एलिसा परीक्षण सकारात्मक है तो निदान की पुष्टि के लिए आमतौर पर पश्चिमी धब्बा (westorn blot) परीक्षण किया जाता है यदि एलिसा परीक्षण नकारात्मक है एलिसा जैविक नमूनो/ बायलॉजिकल सैंपलों में प्रोटीन पेप्टाइड हार्मोन यह रसायनों के स्तर को मापने के लिए एक एंटीबॉडी आधारित तकनीक है। लेकिन आपको लगता है कि आपको एचआईवी हो सकता है तो आपको एक से तीन महीने में फिर से एलिसा परीक्षण करवाना चाहिए। एलिसा परीक्षण द्वारा कई सारी बीमारियों का पता लगाया जा सकता है।

पश्चिमी धब्बा (western blotting)- पश्चिमी धब्बा अक्सर अनुसंधान में प्रोटीन को अलग करने और पहचानने के लिए उपयोग किया जाता है। इस तकनीक में प्रोटीन के मिश्रण को आणविक भार के आधार पर और इस प्रकार जेल विद्युतीकणसंचलन के माध्यम से अलग किया जाता है। पश्चिमी धब्बा का उपयोग सकारात्मक एलिसा की पुष्टि के लिए किया जाता है। यह परीक्षण 99% शुद्ध एवं सटीक होता है।

एड्स की जटिलताएं (Complications) क्या होती है?

एड्स की निम्नलिखित जटिलताएं होती है।

  • न्यूमोसिस्टिस निमोनिया (पीसीपी)– यह फंगल संक्रमण गंभीर बीमारी का कारण बन सकता है हालांकि अमेरिका में एचआईवी एड्स के मौजूदा उपचारों से इसमें काफी गिरावट आई है फिर भी एचआईवी से संक्रमित लोगों में पीसीपी निमोनिया का सबसे आम कारण है।
  • कैंडिडिआसिस (थ्रश)- कैंडिडिआसिस एचआईवी से संबंधित एक आम संक्रमण है यह सूजन और आपके मुंह, जीभ अन्नप्रणाली या योनि पर एक मोटी, सफेद कोटिंग का कारण बनता है।
  • क्षय रोग (टीबी)- टीवी एचआईवी से जुड़ा एक आम कारण है दुनिया भर में टीबी एड्स से पीड़ित लोगों में मृत्यु का एक प्रमुख कारण बन चुका है एचआईवी दवाओं के व्यापक उपयोग के कारण यू.एस. में आए कम है।
  • साइटोमेगालो वायरस- यह सामान्य दाद वायरस शरीर के तरल पदार्थ जैसे लार, रक्त, मूत्र, वीर्य, और स्तन के दूध में फैलता है। एक स्वस्थ प्रतिरक्षा प्रणाली वायरस को निष्क्रिय कर देती है और यह आपके शरीर में निष्क्रिय रहता है। यदि आप की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो जाती है तो वायरस फिर से प्रकट हो जाता है जिससे आपकी आंखों, पाचन तंत्र, फेफड़ों या अन्य अंगों को नुकसान होता है।
  • क्रिप्टोकोकल मेनिन्जाइटिस- मेनिनजाइटिस आपकी मस्तिष्क एक और (रीड की हड्डी) (मेनिन्जेस) की आस पास की झिल्लियों और तरल पदार्थों की सूजन होती है क्रिप्टोकोकल मेनिन्जाइटिस एचआईवी से जुड़ा एक सामान्य केंद्रीय तंत्रिका तंत्र संक्रमण है जो मिट्टी में पाए जाने वाले कवक के कारण होता है।
  • टोक्सोप्लाज्मोसिस- यह संभावित रूप से घातक संक्रमण टॉक्सोप्लाजमा गोंडी के कारण होता है एक परजीवी जो मुख्य रूप से बिल्लियों द्वारा फैलता है संक्रमित बिल्लियों अपने मल में परजीवियों को पास करती हैं। जो बाद में अन्य जानवरों और मनुष्यों में फेल जा सकती है। टोक्सोप्लाज्मोसिस हृदय रोग का कारण बन सकता है और जब यह मस्तिष्क में फैलता है तो दौरे पड़ते हैं।

एड्स की रोकथाम कैसे की जा सकती है?

  • AIDS की रोकथाम के लिए समुदाय में जागरूकता लाने के लिए विशेष कार्यक्रम (Programmes) चलाए जा रहे हैं। जिसमें स्थानीय समुदाय की भागीदारी अवश्य होती है।
  • लोगों को केवल जीवनसाथी से यौन संबंध स्थापित करने के लाभ बताए जाने चाहिए।‌ एवं ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।
  • एड्स के बचने के लिए कंडोम का उपयोग करना के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। ताकि संक्रमण बीमारियों से बचा जा सके।
  • ब्लड ट्रांसफ्यूजन करने से पूर्व इसके एचआईवी की जांच करनी चाहिए। एवं एचआईवी संक्रमित स्त्रियों को गर्भवती (Avoid) करने के लिए कहना चाहिए।
  • Body-fluids जिनमें एचआईवी होने की संभावना होती है (Semen, vaginal discharge, breast milk,) के संपर्क में आने से बचना चाहिए।
  • ऐसे लोग जिनमें एड्स होने की संभावना अधिक होती है जैसे। नशे करने वाला व्यक्ति, से अधिक यौन संबंध बनाने वाला व्यक्ति, ऐसा व्यक्ति जो एचआईवी ग्रसित हो उसके साथ यौन संबंध बनाने से उस व्यक्ति में भी एचआईवी फैल जाता है।

एचआईवी संक्रमण होने के पश्चात व्यक्ति में 7-10 साल बाद निम्न लक्षण दिखाई देते हैं।

  • लगातार कई कई हफ्ते अतिसार रहता है।
  • कई हफ्ते तक खांसी रहना।
  • मुंह में घाव हो जाना जैसे अल्सर।
  • त्वचा पर दर्द भरे और खुजली वाले ददोरे/चकत्ते पड़ जाना।
  • तेजी से वजन घटना।
  • गले या बलगम में सूजन भरी गिल्टियों का हो जाना।
  • लगातार कई हफ्तों तक बुखार आना। ‌
  • उपरोक्त सभी लक्षण सामान्य रोगों जिन का इलाज हो सकता है वह भी हो सकते हैं।
  • किसी व्यक्ति को देखने से एचआईवी संक्रमण का पता नहीं लगाया जा सकता-जब तक कि ब्लड की जांच ना हो। ‌
  • ऐसे व्यक्ति जिनको ट्यूबरक्लोसिस (TB) हुआ है उन्हें एचआईवी होने का ज्यादा खतरा होता हैं

एड्स के लिए ड्रग आफ़ चॉइस (drugs of choice for AIDS) क्या है?

रोगी को (Antiretroviral therapy) के रूप में (Zidovudine drugs) दी जानी चाहिए। अन्य (Drugs) जिनका उपयोग एड्स के उपचार में किया जाता है। जो की निम्न है

  • Lamivudine
  • Indianavir
  • Ritonavir
  • Delaviradine
  • Stavudine
  • Saquinavir

रोगी मैं उपस्थित अन्य संक्रमण के उपचार के लिए एंटीबायोटिक थेरेपी दी जानी चाहिए जैसे कि- (STD, Tuberculosis, etc). गर्भवती महिला का (Hepatitis-B एवं Rubella, Influenza) के प्रति वैक्सीनेशन किया जाना चाहिए। ‌

रोगी एवं उसके परिवार को (Genetic counseling) की जानकारी देनी चाहिए। जिसमें उन्हें बताया जाना चाहिए कि उनके होने वाली शिशु को एड्स होने की संभावना होती है।

आइए जानते हैं एड्स कैसे नहीं फैलता है।

एचआईवी संक्रमित व्यक्ति के साथ सामान्य संबंधों से, जैसे हाथ मिलाने, एक साथ भोजन करने, एक ही घड़े का पानी पीने से, एक ही बिस्तर और कपड़ों के प्रयोग करने से, एक ही कमरे, अथवा घर में रहने से एक ही शौचालय, स्नानघर प्रयोग में लाने से, बच्चों के साथ खेलने से यह रोग नहीं फैलता है मच्छरों/खटमलों ओं के काटने से यह रोग नहीं फैलता है।

  • प्रमुख संदेश।
  • एड्स का कोई उपचार एवं बचाव, टीका अभी तक नहीं है।
  • एचआईवी संक्रमित व्यक्ति को प्यार दे /दुत्कारे नहीं।
  • यौन संबंध बनाने के पहले कंडोम का प्रयोग जरूर करें।
  • सुरक्षित यौन संबंध के लिए निरोध का उपयोग करें।
  • हमेशा जीवाणुरहित अथवा डिस्पोजेबल सिरिंज व सूई ही उपयोग में लें।
  • एचआईवी संक्रमित महिला गर्भधारण ना करें।

मैं आशा करती हूं कि आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा।।

धन्यवाद!! (by GS India Nursing, Lucknow, India)…

Dr. Sanu AK……!!

Dr. Anu….!!

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