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प्रसव की प्रथम अवस्था (First Stage of Labour), (sign & symptoms) लक्षण और डिलीवरी होने के संकेत एवं समय अवधि, प्रसव की प्रथम अवस्था की कितनी उप-अवस्थाएं होती हैं?

प्रिय पाठको, इस आर्टिकल में हम प्रसव की प्रथम अवस्था (labour’s first stage) के बारे में अच्छी तरीके से सटीक एवं शुद्ध जानकारी प्राप्त करेंगे। (Dr. Anu, Gynecologist, Kanpur)

First stage of labour

प्रसव (Labour) –

प्रेगनेंसी के आखिरी महीने यानी 40में सप्ताह के पहले और 37 सप्ताह के बाद आपको कभी भी प्रसव दर्द हो सकता है प्रसव आस्था को मुख्य रूप से तीन भागों में बांटा गया है पहले स्टेज में सर्विक्स खुलता होता है दूसरे स्टेज में बच्चे का जन्म होता है। और तीसरे स्टेज में प्लेसेंटा डिलिवर होता है। और सभी महिलाओं का अनुभव अलग-अलग प्रकार का हो सकता है। प्रसव चरण विभिन्न प्रकार के हो सकते हैं।

लेबर की कितनी स्टेज (stages of labour) होती हैं:

लेबर की अवस्थाएं सामान्य रूप से चार प्रकार की होती है।

लेवर की प्रथम अवस्था (first stage of labour) क्या होती है:

यह प्रथम की प्रथम अवस्था होती है इसमें गर्भाशय की ग्रीवा में परिवर्तन होते हैं यह अवस्था वास्तविक प्रसव अर्थात दर्द युक्त होती है। जो गर्भाशयी संकुचनो के साथ आरंभ होती है। एवं ग्रीवा की पूर्ण विस्तारण (Dilatation) पर समाप्त हो जाती है। प्रथम चरण का समय इस बात पर निर्भर करता है की महिला कौन सा बच्चा है पहला बच्चे में यह चरण अधिक समय लेता है और दूसरे बच्चे में कम तथा तीसरे बच्चे में और कम समय लगता है प्रथम चरण में योनि की दीवारों का पतला होना, फैलना, खींचना, और धीरे-धीरे करके बच्चे के सिर का खिसकना होता है।

प्रथम अवस्था की औसत अवधि क्या होती है।:

गुप्त प्रावस्था- (Latent phase):

यह वास्तविक प्रसव पीड़ा आरंभ होने के साथ ही आरंभ होती है एवं सर्विक्स के 3-4cm विस्तारण (Dilatation) तक मानी जाती है। इसकी अवधि प्रीमीग्रेविडा में 20 घंटे एवं अधिकतम मल्टीग्रेविडा में 14 घंटे हो सकती है।

सक्रिय अवस्था- (Active phase):

यह सर्विक्स के 3-4 विस्तारण (Dilatation) हो जाने पर आरंभ होती है एवं सर्विक्स के पूर्ण विस्तारण 10cm, पर समाप्त होती है इसकी अवधि प्रीमीग्रेविडा में 5 घंटे एवं मल्टीपैरा में 4-3 घंटे होती है।

सामान्य प्रसव में होने वाले सामान्य परिवर्तन:

गर्भावस्था के दौरान यूट्रस की संरचना आकार एवं आकृति में परिवर्तन आते हैं। इस प्रकार गर्भावस्था में गर्भाशय की मयोमेट्रियम परत में उपस्थित पेशियों के आकार में वृद्धि हो जाती है गर्भाशय में दर्दयुक्त संकुचन आरंभ हो जाते हैं यह संकुचन गर्भावस्था में उपस्थित संकुचन में भिन्न होते हैं। ‌

Internal-Os से नीचे स्थित एमनियोटिक पदार्थ को आगे का (fore) वाॅटर कहते हैं। एवं फीट्स इसके पीछे स्थित एमनियोटिक पदार्थ को हिंद (Hind) वाॅटर कहते हैं

लेबर पेन शुरू होने से पहले, निम्न लक्षण देखने को मिलते हैं:

लेबर पेन शुरू होने से पहले हमें ने में लक्षण देखने को मिलते हैं अगर आपको ऐसे संकेत देखने को मिलते हैं तो समझ जाइए की डिलीवरी 24 से 48 घंटे में हो जाएगी। हर गर्भवती महिला को ईडीडी (EDD)‌ निकाल कर दी जाती है कि आप की डिलीवरी इस डेट में हो गई तो महिला उसी डेट का इंतजार करती है हो सकता है कि डिलीवरी डेट के आगे पीछे हो सकती है। अधिकतर महिलाएं इन संकेतों को नजरअंदाज कर देती हैं।

प्रसव की प्रथम अवस्था का प्रबंधन कैसे करेंगें (the management of first stage of labour):

योनि परीक्षण (vaginal examination) क्या होता है, (PV):

सबसे पहले महिला को डोर्सल पोजिशन (Dorsal position) में लेटने के लिए कहा जाता है फिर उसके बाद योनि एग्जामिनेशन करने वाला व्यक्ति साबुन से हाथ धो लें इसके बाद दोनों हाथों पर दस्ताने पहन लेते हैं। लेबिया मिनोरस को विपरीत दिशा में पकड़ कर रखा जाता है। महिला को पेल्विक एरिया की पेशियों को शिथिल रखने के लिए कहते हैं अब दाएं हाथ की इंडेक्स (अंगूठे के समय वाली) एवं मिडल फिंगर के माध्यम से योनि में प्रवेश कर देते हैं।

मैं आशा करती हूं कि आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा।।

धन्यवाद!! (by GS India Nursing, Lucknow, India)…

Dr. Sanu AK……!!

Dr. Anu….!!

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