परिवार नियोजन क्या है? (Family Planning):
गर्भनिरोध को जन्म नियंत्रण और प्रजनन क्षमता नियंत्रण के नाम से भी जाना है यह गर्भधारण को रोकने के लिए विधियां या उपकरण हैं जन्म नियंत्रण की योजना प्रावधान और उपयोग को परिवार नियोजन कहा जाता है सुरक्षित यौन संबंध, जैसे पुरुष या महिला निरोध का उपयोग भी यौन संचारित संक्रमण को रोकने में भी मदद कर सकता है।
राष्ट्रीय परिवार नियोजन कार्यक्रम कब शुरू हुआ :
भारत दुनिया में पहला देश है जिसने वर्ष 1952 में परिवार नियोजन के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम शुरू किया था ऐतिहासिक शुरुआत के बाद परिवार नियोजन कार्यक्रम में नीतियों और वास्तविक कार्यक्रम क्रियान्वयन के अनुसार परिवर्तन किया है तथा वर्तमान में इस कार्यक्रम को ना केवल जनसंख्या स्थिरीकरण लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए पुनर्स्थापित किया गया है बल्कि, यह कार्यक्रम प्रजनन स्वास्थ्य, को बढ़ावा भी देता है इसके साथ-साथ मातृ शिशु, और बाल मृत्यु दर, एवं रोग दर को भी कम करता है सार्वजनिक स्वास्थ्य क्षेत्र स्वास्थ्य प्रणाली के अंतर्गत कार्यक्रम के माध्यम से विभिन्न स्तरों पर परिवार नियोजन सेवाएं प्रदान करता है:
गर्भ निरोधक के निम्न साधन है:
- खाने की गोलियां।
- महिलाओं एवं शिशुओं के स्वास्थ्य की रक्षा करने में अंतराल विधियों का महत्व।
- कंडोम: कंडोम गर्भ निरोध का प्रभावी एवं सरल अंतराल उपाय है। गर्भधारण रोकने के अलावा कंडोम पुरुष एवं महिला दोनों की यौन संचारित रोग /एच.आई.वी.।
- कॉपर टी (आई.यू.वी.)
- आपातकालीन गर्भ निरोधक।
अस्थाई विधि (Temporary method),
- कंडोम
- विड्रोल
- इंट्रायूटेराइन डिवाइस, कॉपर-टी
- हार्मोनल कॉन्ट्रासेप्टिव ओरल पिल्स
- इंजेक्टबल (DMPA, NET-EN)
- डायाफ्राम
- फॉर्म टेबलेट्स, जेली एंड क्रीम
- रिदम विधि (सेफ पीरियड)
स्थाई विधि (Permanent method):
- महिला- टुवेक्टॉमी (Tubectomy)
- पुरुष- वेसिक्टॉमी (Vasectomy)
प्रकृति विधि (Natural methods):
1. लेक्टेशनल एमिनोरिया मेथड, (लैम विधि):
- लैम एक प्राकृतिक गर्भनिरोधक है विधि है जिसका कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है।
- इस विधि का प्रयोग केवल स्तनपान कराने वाली महिलाएं कर सकती हैं जिनका बच्चा 6 महीने से कम उम्र का है।
- यह यह विधि प्रसव पश्चात 6 माह तक प्रभावित होती है।
- लैम के लिए तीन शर्तें पूरी होना जरूरी होती हैं।
- केवल पूरी तरह से अपना दूध पिलाती हो।
- बच्चा 6 महीने से कम उम्र का हो।
- माहवारी शुरू नहीं हुई हो।
लैम के लाभ:
- लैम विधि का सही तरीके से प्रयोग करने पर प्रसव के पश्चात 6 महीने तक गर्भ धारण से बचाती है।
- इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं है ।
- लैम विधि अपनाने पर यह दंपति को अन्य आधुनिक गर्भनिरोधक विधि अपनाने के लिए अवसर देती है।
2. इंट्रायूटेराइन कॉन्ट्रासेप्टिव डिवाइस (IUCD):
- आई.सी. सी. डी. महिलाओं के लिए एक बहुत ज्यादा असरदार एक लंबी अवधि के लिए गर्भनिरोधक साधन है।
- इंट्रायूटेराइन कॉन्ट्रासेप्टिव डिवाइस एक छोटा T- आकार का लचीला साधन है जिसे गर्भाशय के अंदर लगाया जाता है।
- आई.सी. सी. डी. 380A 10 साल के लिए, आई.सी. सी. 375, 5 साल के लिए प्रभावी होती है।
आई.सी. सी. डी. के लाभ:
- इससे लगवा कर महिला लंबे समय तक गर्भधारण से बच सकती है। वह जब चाहे इसे निकलवा भी सकती है।
- आई.सी. सी. डी. निकाल जाने के बाद महिला की गर्भधारण की क्षमता जल्दी वापस आ जाती है।
- स्तनपान कराने वाली महिला के लिए भी एक बहुत अच्छा तरीका है।
- असुरक्षित संभोग हो जाने के बाद 5 दिनों के भीतर आई.सी.सी.डी. लगायी जा सकती है। जोकि आपातकालीन गर्भनिरोधक की तरह कार्य करती है।
- महिलाएं प्रसव के तुरंत बाद आई.सी. सी. डी. लगवा सकती है इसे पोस्टपार्टम इंट्रायूटेराइन कॉन्ट्रासेप्टिव डिवाइस या पी.पी.आई.यू.सी.डी. कहते हैं।
- परिवार समिति करने के लिए प्रभावी तरीके हैं।
आई.यू.सी.डी कब लगवा सकते हैं प्रसव के बाद:
- आंवल के बाहर आने के 10 मिनट के भीतर।
- प्रसव के बाद अगले 48 घंटों के अंदर।
- ऑपरेशन के दौरान।
- छह के 6 हफ्तों बाद।
- गर्भपात के बाद– तुरंत उसी दिन से लेकर 12 दिन तक कभी भी अगर संक्रमण में ना हो ।
- महावारी शुरू होने पर– पहले दिन से 12 दिन के भीतर कभी भी।
- असुरक्षित संभोग हो जाने के बाद– तुरंत उसी दिन से लेकर 5 दिनों के भीतर लगाई जा सकती है। आपातकालीन गर्भनिरोधक की तरह कार्य करती है।
आई.यू.सी.डी. लगवाने के बाद शारीरिक बदलाव:
- मासिक धर्म कुछ अधिक समय तक या अधिक हो सकता है।
- मासिक धर्म के दौरान सहनी दर्द पेडू में ऐंठन यह प्रभाव सामान्यता 3 महीने बाद सही हो जाते हैं।
- दो मासिक धर्म के बीच रक्तस्राव या दाग धब्बे पड़ना।
जटिलताएं होने पर डॉक्टर को तुरंत दिखाएं:
- महावारी समय पर ना आना हो सकता है आप गर्भवती हो।
- पेडू में दर्द संभोग के दौरान दर्द।
- योनि से गंदा/ बदबूदार गंदा पानी गाना।
- तेज बुखार आना ठंड लगना।
- अगर धागे से परेशानी हो रही हो/आई.यू.सी.डी. का निचला सिरा महसूस रहा हो/ चुभना या निकल गई हो।
- योनि से असामान्य खून आना।
आई.यू.सी.डी. निम्न स्थिति में नहीं लगाई जा सकती है।
- झिल्ली (पानी की थैली) हट जाने के 18 घंटे बाद।
- ठंड लगकर बुखार आना या पेट में दर्द।
- योनि से बदबूदार स्राव (प्रसव के पहले/ प्रसव पश्चात संक्रमण)।
- प्रसव पश्चात अत्यधिक रक्तस्राव।
आई.यू.सी.डी. का प्रयोग कौन नहीं कर सकता है।
- हर उम्र की महिलाएं आई.यू.सी.डी. लगवा सकती हैं।
- यदि लाभार्थी को यदि स्तन रोग, हृदय रोग, लीवर/ पित्ताशय रोग, उच्च रक्तचाप, (बी-पी), स्ट्रोक, मधुमेह, जैसी समस्याएं हो तो भी आई.यू.सी.डी. वह का प्रयोग कर सकती हैं।
- यह स्तनपान करा रही माताओं के लिए विशेष रूप से लाभदायक है क्योंकि इससे दूध की मात्रा पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
3. छाया (नॉन-हार्मोनल टेबलेट्स):
- छाया हार्मोन रहित सुरक्षित व प्रभावी साप्ताहिक गोली है।
- छाया एक पैकेट में 8 गोली होती है।
- सभी सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर छाया गोली निशुल्क उपलब्ध है।
छाया गोली खाने से लाभ:
- छाया दूध पिलाने वाली माताओं के लिए सुरक्षित है। और प्रसव व गर्भपात के तुरंत बाद दी जा सकती है।
- इनानिया इनानिया से ग्रसित महिलाओं के लिए भी लाभकारी है। क्योंकि छाया खाने के बाद माहवारी थोड़ी कम होती है वह ज्यादा अंतराल पर होती है।
छाया का उपयोग कौन कर सकता है:
- किसी भी उम्र की महिलाएं इसका उपयोग कर सकती हैं।
- जिन महिलाओं को माला-एन से साइड इफेक्ट हुआ हो वे महिलाएं भी इस विधि को चुन सकती हैं।
- जो जो महिलाएं स्तनपान कराती हैं वह भी इसका उपयोग कर सकती हैं यह मां के दूध पर कोई प्रभाव नहीं डालता है।
छाया को कब शुरू करना है:
- माहवारी शुरू होने के पहले दिन से।
- प्रसव के तुरंत बाद।
- गर्भपात होने के तुरंत बाद या 7 दिन के अंदर।
- स्तनपान नहीं कराने वाली महिलाएं।
- केवल स्तनपान न कराने वाली महिलाएं (जो ऊपरी दूध पानी शहद घुट्टी आदि देती है)।
छाया गर्भनिरोधक गोली कैसे लें:
छाया गोली को प्रथम 3 माह, तक सप्ताह में दो बार तथा 3 माह, के बाद सप्ताह में एक बार लिया जाना है। छाया के उपयोग से पहले महिला को यह सलाह दे कि वह पहली गोली माहवारी के पहले दिन (जिस दिन खून दिखाई दे) दूसरी गोली नीचे दिए गए शेड्यूल के अनुसार लें यह क्रम महावारी की परवाह किए बिना जारी रखें।
मैं आशा करती हूं। कि आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा।।
धन्यवाद!! (by GS India Nursing, Lucknow, India)…