गर्भावस्था मैं मधुमेह कैसे होता है, मधुमेह कितने प्रकार होते हैं, गर्भावस्था में इसके कारण एवं लक्षण क्या होते हैं, गर्भावस्था में मधुमेह कैसे रोकथाम करेंगे।

हाय दोस्तों, इस आर्टिकल में हम गर्भावस्था मैं मधुमेह कैसे होता है से संबंधित संपूर्ण जानकारी सही एवं सटीक प्राप्त करेंगे। इस आर्टिकल में हम निम्न प्रश्नों के उत्तर के बारे में समझेंगे। (Dr. Anu, Gynecologist, Kanpur).

  • गर्भावस्था मैं मधुमेह कैसे होता है।
  • मधुमेह कितने प्रकार होते हैं
  • गर्भावस्था में इसके कारण एवं लक्षण क्या होते हैं
  • गर्भावस्था में मधुमेह का निदान कैसे होता है।
  • गर्भावस्था में मधुमेह कैसे प्रबंधन करेंगे।

गर्भावस्था मैं मधुमेह कैसे होता है।

मधुमेह मेलिटस, (Diabetes mellitus) एक पुरानी अंतःस्रावी विकार है जिसमें रक्त शर्करा का स्तर उपवास में 95 मिलीग्राम / डीएल से अधिक और भोजन के बाद 140 मिलीग्राम / डीएल इंसुलिन की कमी के कारण होता है।

यदि शरीर में इंसुलिन हार्मोन की कमी हो जाती है तो परिणामस्वरूप रक्त में उपस्थित आवश्यकता से अधिक (Glucose glycogen), मैं परिवर्तित नहीं हो पाता है एवं रक्त में ग्लूकोस लेवल लगातार बढ़ता जाता है एवं मधुमेह मेलिटस हो जाता है। रक्त में ग्लूकोस की यह मात्रा दो हार्मोन इंसुलिन एवं ग्लूकोस द्वारा नियंत्रित रहती है इंसुलिन हार्मोन रक्त में उपस्थित आवश्यकता से अधिक ग्लूकोस को ग्लाइकोजन में परिवर्तित कर (Liver एवं Muscles में Store) करता है। वही ग्लाइकोजन आवश्यकता होने पर ग्लाइकोजन को ग्लूकोज में परिवर्तित कर शरीर को ऊर्जा की आपूर्ति करता है।

मधुमेह, की डायग्नोसिस के लिए दो या दो से अधिक बार रक्त ग्लूकोज लेवल की जांच करनी चाहिए।

  • Fasting blood Glucose level- 95mg/dl
  • After 1 hour of meal – 180mg/dl
  • After 2 hour of meal- 155mg/dl
  • After 3 hour of meal- 140mg/dl

मधुमेह कितने प्रकार होते हैं।

गर्भावस्था के दौरान मधुमेह मेलिटस, निम्न प्रकार की हो सकती है।

  • GDM- (जेस्टेशनल डायबिटीज मेलिटस)
  • Type-1 (IDDM)
  • Type- 2 (NIDDM)

GDM- जेस्टेशनल डायबिटीज मेलिटस)।

यह एक असामान्य स्थिति है जिसमें गर्भावस्था के कारण ग्लूकोज टोलरेंस (Glucose Tolerance) असंतुलित हो जाता है एवं रोगी डायबिटिक हो जाता है। यह गर्भावस्था के दौरान होने वाली डायबिटीज मैं सबसे ज्यादा होती है जो कि 2nd एवं 3rd तिमाही (Last half) मैं प्रकट होती है। शिशु की डिलीवरी हो जाने पर ग्लूकोज टोलरेंस स्वतः सामान्य हो जाती है। अतः इसे “गर्भावस्था प्रेरित मधुमेह मेलिटस” कहना अधिक उपयुक्त है।

Type-1 (IDDM) इंसुलिन निर्भर मधुमेह मेलिटस।

इसमें मधुमेह का कारण इंसुलिन हार्मोन की कमी है इसी कारण इसे इंसुलिन सांद्रता आधारित मधुमेह या इंसुलिन निर्भर मधुमेह मेलिटस कहा जाता है। यह शुरुआत में तीव्र प्रवत्ति की होती है। इसमें स्व-प्रतिरक्षित विकार के कारण अग्न्याशय आइलेट कोशिकाओं (Pancreas Islet cells) नष्ट हो जाती है। परिणाम स्वरूप रक्त में ग्लूकोज लेवल बढ़ जाता है। यह डायबिटीज रक्त में इंसुलिन हार्मोन की मात्रा पर निर्भर करती हैं। जबकि इंसुलिन की कमी से मधुमेह रोग होता है यह प्रायः 30 वर्ष की आयु से पहले होता है।

Type- 2 (NIDDM) गैर इंसुलिन निर्भर मधुमेह मेलिटस।

यह शुरुआत में क्रॉनिक नेचर की होती है इस मधुमेह मेलिटस मैं कोशिकाएं इंसुलिन के प्रति (Resistant) हो जाती है। एवं रक्त में इंसुलिन की सांद्रता का कोशिका मेटाबॉलिज्म पर अपेक्षित प्रभाव नहीं होता है। परिणाम स्वरूप भी रक्त में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ जाती है एवं डायबिटीज हो जाती है। यह डायबिटीज रक्त में इंसुलिन हार्मोन की मात्रा पर निर्भर नहीं करती है क्योंकि रक्त में इंसुलिन उपस्थित होते हुए भी ग्लूकोज ग्लाइकोजन में परिवर्तन नहीं हो पाता है अतः Type- 2 (NIDDM) गैर इंसुलिन निर्भर मधुमेह मेलिटस कहलाती है। यह प्रायः 40 वर्ष की आयु के पश्चात मोटे लोगों में अधिक होता है।

Special points-

  • Alfa (a)- Glucagon
  • Beta (β-cells)- Insulin
  • Gamma (y)- Somatostatin

गर्भावस्था में मधुमेह मेलिटस के कारण क्या होते हैं।

मधुमेह का वास्तविक कारण पूर्णतः पता नहीं है फिर भी निम्न कारण हो सकते हैं।

  • मोटापा।
  • मधुमेह का प्रकार Autoimmune (β-cells) का नष्ट हो जाना।
  • लम्बे समय तक भावनात्मक या मानसिक तनाव रहना।
  • गर्भावस्था के दौरान इंसुलिन हार्मोन का बढ़ जाना।
  • 30 वर्ष से अधिक आयु वाले व्यक्ति।
  • अधिक मीठा खाना।
  • वंशागत रोग (Heredity)

गर्भावस्था में मधुमेह मेलिटस के लक्षण क्या होते हैं।

इसके तीन प्रमुख लक्षण 3-P के नाम जाने जाते हैं।

  • अधिक यूरिन आना। (Polyuria)
  • अधिक प्यास लगना (Polydipsia)
  • अधिक भूख लगना। (Polyphagia)

अन्य लक्षण-

  • रात्रि मैं अधिक बार पेशाब जाना।
  • थकान रहना।
  • रक्त में ग्लूकोज की मात्रा अधिक होना।
  • निर्जलीकरण के कारण।
  • उपापचयी कीटोअम्लता।
  • मूत्र से शर्करा निकलना।
  • रेटिना विकार होना।
  • व्रक्क रोग होना।
  • बार बार संक्रमण होना।
  • घाव देरी से भरना या ना भरना। (Gangrene)

मधुमेह मेलिटस खतरे की परिस्थितियां (Risk factors)।

  • परिवार में अन्य सदस्यों में भी मधुमेह होना।
  • उल्बीय तरल पदार्थ (Amniotic fluid) मात्रा अधिक होना।
  • मां की अधिक आयु होना/ 35 साल।
  • मोटापा।
  • आत्म प्रतिरक्षा रोग।

गर्भावस्था में मधुमेह मेलिटस की जटिलताएं (Complications) क्या होती हैं।

  • शिशु का आकार बड़ा होना। (Macrosomia)
  • ए.पी.एच. होना। ‌
  • महिला का गर्भपात हो जाना।
  • समय से पूर्व प्रसव होना।
  • प्री-एक्लेमप्सिया।
  • प्रसव पश्चात रक्त स्राव।
  • परपेरियम संक्रमण।
  • घाव नहीं भरता है।
  • बार-बार यूटीआई संक्रमण होना।

गर्भावस्था में मधुमेह का निदान कैसे होता है।

लक्षणों की उपस्थिति की जांच करना चाहिए। जैसे कि रक्त सीरम जांच, मैं सिरम ग्लूकोज लेवल‌ की जांच करना। जैसे कि (Fasting में>120 mg/dl एवं खाने के बाद> 150mg/dl इसके लिए RBG कम से कम दो जांच की जानी चाहिए। नेत्र परीक्षण किया जाना चाहिए। एवं मूत्र विश्लेषण किया जाना चाहिए।

  • ग्लाइकोसिलेटेड हीमोग्लोबिन का आकलन करना।
  • मातृ सीरम ए-भ्रूण प्रोटीन स्तर चेक करना चाहिए
  • अल्ट्रासोनोग्राफी।
  • भ्रूण निगरानी।
  • ग्लूकोज सहिष्णुता परीक्षण कि जानी चाहिए।
  • रक्त ग्लूकोज स्तर की जांच करना चाहिए।

गर्भावस्था में मधुमेह कैसे प्रबंधन करेंगे।

आनुवंशिक परामर्श प्रदान करना।

  • जो महिलाएं पहले से ही डायबिटिक होती है। उन्हें गर्भधारण करने से पूर्व जेनेटिक काउंसलिंग की जानी चाहिए। साथी जेनेटिक काउंसलिंग के दौरान महिला को स्वयं ग्लूकोज मॉनिटरिंग के दौरान स्वस्थ आदतों के बारे में बताया जाना चाहिए।
  • रोगी को संभावित जन्मजात नवजात विसंगतियां के बारे में बताया जाता है साथ ही ऐसा होने की स्थिति में उपलब्ध उपचार के बारे में भी बताया जाता है जिससे रोगी भविष्य में आने वाली समस्याओं के लिए मानसिक रूप से तैयार रहता है।

प्रसव पूर्व देखभाल प्रदान करें।

प्रत्येक महिला को 36 सप्ताह तक जांच के लिए, प्रत्येक दो सप्ताह में प्रसव पूर्व दौरा, करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। एवं तीसरी तिमाही के दौरान वजन 1 पौंड सत्ता से अधिक होने पर ध्यान रखना चाहिए। साथ ही रोगी का ब्लड शुगर लेवल बार-बार चेक करें, एवं इसका रिकॉर्ड भी रखें। साथ ही नर्स को एमनियोटिक फ्लूड सूचकांक Amniotic fluid index (AFI), भ्रूण की हलचल, (fetal heart sound), की जांच करनी चाहिए।

मधुमेह महिला के शिशु का आकार सामान्य से बड़ा होने की संभावना अधिक होती है (Macrosomia) अतः (Shoulder dystocia), की स्थिति अधिक उत्पन्न हो सकती है। एवं (Macrosomia) की स्थिति होने पर नॉर्मल डिलीवरी के दौरान शिशु को चोट लगने की संभावना अधिक रहती है नॉर्मल डिलीवरी (avoid) की जानी चाहिए।

मैं आशा करती हूं कि आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा।।

धन्यवाद!! (by GS India Nursing, Lucknow, India)…

Dr. Sanu AK……!!

Dr. Anu….!!

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