आइए देखते हैं, कुछ नर्सिंग परीक्षाओं में पूछे गए प्रश्नों को , संक्षिप्त रूप में एवं वैकल्पिक रूप में –
(प्रश्न)1- पिंक रिबन किससे संबंधित है?
A- सर्वाइकल कैंसर
B- स्तन कैंसर
C- फेफड़े का कैंसर
D- एड्स
(प्रश्न)2- वैक्सीन मुख्य रूप से कितने प्रकार की होती हैं?
A – 5 प्रकार की
B – 6 प्रकार की
C – 3 प्रकार की
D – 4 प्रकार की
(प्रश्न) 3- बीसीजी ( BCG ) वैक्सीन किस माध्यम से दी जाती है?
A- इंट्रा मस्कुलर (I/m)
B – सबकटेनियस(subcutaneous)
C – ओरल( oral)
D – इंट्रेडर्मल (I/D)
(प्रश्न) 4 – गर्भावस्था में सबसे आम रक्त स्राव विकार है –
A – थैलेसीमिया
B – दिल की विफलता
C – एनीमिया
D – प्लेटलेट विकार
(प्रश्न) 5 – सामान्य अवस्था में एमनियोटिक द्रव का रंग कैसा होता है?
A – पीला भूसी जैसा रंग
B – हरा पीला
C – गहरा रंग
D – रेडीस
उपरोक्त दिए गए वैकल्पिक प्रश्नों के उत्तर नीचे दिए गए हैं,
(उत्तर) 1 – B- स्तन कैंसर
(उत्तर) 2 – D – 4 प्रकार की
(उत्तर) 3 – D – इंट्रेडर्मल (I/D)
(उत्तर) 4 – D – प्लेटलेट विकार
(उत्तर) 5 – A – पीला भूसी जैसा रंग
**ध्यान देने योग्य बातें **-
पिंक रिबन – 1 – अक्टूबर महीने को ब्रेस्ट कैंसर मंथ के रूप में मनाया जाता हैं। इसीलिए ब्रेस्ट कैंसर के प्रति समाज में जागरूकता फैलाने के लिए पिंक रिबन स्पोर्ट्स ब्रा जैसे अनोखे कैंपेन चलाए जा रहे हैं।
2 – पिंक रिबन स्पोर्ट्स ब्रा कैंपेन,
इस कैंपेन का मकसद महिलाओं को ब्रेस्ट कैंसर के प्रति शिक्षित करना हैं, ताकी महिलाएं इस कैंसर को लेकर शर्म छोड़ सकें। चीयर्स टू लाइफ फाउंडेशन (CTLF) ने इस स्पेशल पिंक रिबन स्पोर्ट्स ब्रा को अवेयरनेस के लिए डिजाइन किया हैं। इन ब्रा की बिक्री से जो भी पैसा आएगा उसे ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित महिलाओं के इलाज में लिए खर्च किया जाएगा।
3 – देश में हर साल ब्रेस्ट कैंसर का खतरा बढ़ रहा है,
हमारे देश में हर साल करीब 70 हजार महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर से मर जाती हैं।
स्तन कैंसर – एक कैंसर जो स्तनों की कोशिकाओं में बनता है।
स्तन कैंसर महिलाओं में और शायद ही कभी पुरुषों में हो सकता है।
1- महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर कैसे होता है?
स्तन कैंसर ऐसा कैंसर है जो हमारे स्तन से शुरू होता है। इसकी शुरूआत तब होती है, जब हमारी कोशिकाएं ज़रूरत से ज्यादा बढ़ने लगती है। स्तन कैंसर की कोशिकाएं एक ट्यूमर बनाती हैं जिसे एक्स-रे पर देखा जा सकता है या आप इसे एक गांठ के रूप में भी महसूस कर सकते हैं।
2 – ब्रेस्ट कैंसर की गांठ में दर्द होता है क्या?
वैसे तो ब्रेस्ट कैंसर दर्द रहित (painless) होता है लेकिन कभी-कभी इस स्थिति से पीड़ित होने पर स्तन और निप्पल में दर्द का अनुभव हो सकता है। यह बनावट में बदलाव के कारण होता है जो अक्सर कोमलता बढ़ाता है, साथ ही दर्द और परेशानी का कारण बन सकता है।
3 – कैंसर कितने दिनों में फैलता है?
स्टेज तीन में कैंसर के आस-पास के ऊतकों में फैल जाने की बात सामने आती है। स्टेज चार में कैंसर शरीर के अन्य भागों में फैल जाता है, जिसे उन्नत कैंसर भी कहते हैं।
4 – कैंसर की गांठ को कैसे पहचाने?
खांसी आना, खांसी में खून आना, सांस फूलना, सीने में दर्द, भूख न लगना, वजन कम होना आदि प्रमुख लक्षण हैं।
5 – कैंसर की गांठ कहाँ होती है?
भारत में कैंसर के मामलों में से आधे से ज़्यादा मुँह, गले, गर्भाशय ग्रीवा के होते हैं। गर्भाशय ग्रीवा और गर्भाशय के कैंसर महिलाओं को होने वाले कैंसर में से सबसे आम है।
6 – कैंसर का टेस्ट कैसे होता है?
अभी कैंसर को डिटेक्ट करने के लिए अलग-अलग तरह के टेस्ट किए जाते हैं। इनमें सीटी स्कैन, MRI, अल्ट्रासाउंड, लैब टेस्ट और कई तरीके के अलग-अलग टेस्ट शामिल हैं। ग्रेल कंपनी ने कैंसर को डिटेक्ट करने के लिए ब्लड टेस्ट तैयार किया है। इस टेस्ट में केवल ब्लड को एनालाइज कर 50 से भी ज्यादा तरह के कैंसर का पता लगाया जा सकता है।
7 – कैंसर में कौन सी जांच होती है?
फिलहाल कैंसर का पता लगाने के लिए सिर्फ एक कन्फर्मेटिव टेस्ट है और वह सस्पेक्टेड ट्यूमर की बायॉप्सी। यह टेस्ट इस बात पर निर्भर करता है कि मरीज अपने शरीर में किसी तरह का लक्षण या गांठ देखे जिसे डॉक्टर को दिखाने के बाद डॉक्टर उसे कैंसर के संकेत मानकर टेस्ट करवाने को कहें।
वैक्सीन –
एक टीका एक जैविक तैयारी है जो एक विशेष संक्रामक रोग के लिए सक्रिय अधिग्रहित प्रतिरक्षा प्रदान करती है। एक टीके में आम तौर पर एक एजेंट होता है जो रोग पैदा करने वाले सूक्ष्मजीव जैसा दिखता है और अक्सर सूक्ष्म जीव, इसके विषाक्त पदार्थों, या इसकी सतह प्रोटीन के कमजोर या मारे गए रूपों से बना होता है।
“Or”
टीका (vaccine) एक जीवों के शरीर का उपयोग करके बनाया गया द्रव्य है जिसके प्रयोग से शरीर में किसी रोग विशेष से लड़ने की क्षमता बढ़ जाती है।
टीका लगाने का मुख्य प्रयोजन बिना रोग उत्पन्न किए शरीर में रोगनिरोधी प्रतिरक्षी का निर्माण करना है। प्राकृतिक रूप से तो प्रतिरक्षी रोगाक्रमण की प्रतिक्रिया के कारण बनते हैं, परंतु टीके द्वारा एक प्रकार का शीतयुद्ध छेड़कर शरीर में प्रतिरक्षी का निर्माण कराया जाता है। रोग उत्पन्न करने में असमर्थ मृत जीवाणुओं का शरीर में प्रवेश होते ही प्रतिरक्षियों का उत्पादन होने लगता है। मृत जीवाणुओं का उपयोग आवश्यक होता है। ऐसी अवस्था में जीवित जीवाणुओं का उपयोग आवश्यक होता है। ऐसी अवस्था में जीवित जीवाणुओं की आक्रामक शक्ति का निर्बल कर उन्हें पहले निस्तेज कर दिया जाता है जिससे उनमें रोगकारी क्षमता तो नहीं रहती, किंतु प्रतिरक्षी बनाने की शक्ति बनी रहती है। जो जीवाणु जीवविष उत्पन्न कर सकते हैं, उनके इस जीवविष को फ़ार्मेलिन के संयोग से शिथिल कर टीके में प्रयुक्त किया जा सकता है। इस प्रकार के फ़ार्मेलिन प्रभावित जीवविष को जीवविषाभ (Toxoid) कहते हैं। अत: रोगनिरोधी प्रतिरक्षी उत्पन्न करने के लिए मृत जीवाणु निस्तेजित जीवाणु अथवा जीवविषाभ का प्रयोग टीके द्वारा किया जाता है। रोगनिरोधी टीके के लिए जो द्रव काम में लाया जाता है। उसे वैक्सीन कहते हैं। यह वास्तव में मृत अथवा निस्तेजित जीवाणुओं का निलंबन (suspension) होता है। इसमें फ़िनोल अथवा कोई अन्य जीवाणुनाशक पदार्थ मिला दिया जाता है जिससे वैक्सीन की शुद्धता बनी रहे।
बीसीजी वैक्सीन,
बैसिलस कैलमेट-गुएरिन वैक्सीन मुख्य रूप से तपेदिक के खिलाफ इस्तेमाल किया जाने वाला टीका है। इसका नाम इसके आविष्कारकों अल्बर्ट कैलमेट और केमिली गुएरिन के नाम पर रखा गया है। उन देशों में जहां तपेदिक या कुष्ठ रोग आम है, स्वस्थ बच्चों को जन्म के तुरंत बाद एक खुराक की सिफारिश की जाती है।
BCG TB संक्रमण से 100% बचाव नही करता हैं, यह संक्रमण को फेफड़ों तक रोके रखने में सहायता करता है और इस रोगको पेचीदा होने से बचाव करने मे प्रभावकारी होता हैं।
सभी स्थानीय नवजात को टीबी के संक्रमण से बचाव के लिए जन्म के समय से BCG (बीसीजी) दिया जाना चाहिए।
👉**यदि आपको कुछ पूछताछ करनी है तो, कृपया स्वास्थ्य विभाग के मातृत्व एवं बाल स्वास्थ्य केंद्र पर डाक्टर से संपर्क करे।**
इंट्राडर्मल इंजेक्शन,
डर्मिस में किसी पदार्थ का उथला या सतही इंजेक्शन होता है, जो एपिडर्मिस और हाइपोडर्मिस के बीच स्थित होता है। चमड़े के नीचे के ऊतक या मांसपेशियों में इंजेक्शन की तुलना में यह मार्ग अपेक्षाकृत दुर्लभ है।
यह आमतौर पर ट्यूबरकुलिन त्वचा परीक्षण के लिए उपयोग किया जाता है, लेकिन इसका उपयोग एलर्जी परीक्षण और स्थानीय एनेस्थेटिक्स के लिए भी किया जा सकता है। एक इंट्राडर्मल इंजेक्शन देने के लिए, लगभग 15 डिग्री के कोण पर एपिडर्मिस के ठीक नीचे 25-गेज या छोटी सुई डाली जाती है।
1 –इंट्राडर्मल इंजेक्शन लगाने में क्या डिग्री करते हैं?
आई /डी इंजेक्शन (मंटौक्स प्रक्रिया) की पारंपरिक प्रक्रिया में लगभग त्वचा के खिलाफ 5 से 15 डिग्री के कोण पर इंजेक्शन लगाना शामिल है।
2 – इंट्राडर्मल इंजेक्शन के लिए किस प्रकार की सिरिंज का उपयोग किया जाता है?
आईडी इंजेक्शन के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला उपकरण एक ट्यूबरकुलिन सिरिंज है जिसे एक मिलीलीटर के दसवें और सौवें हिस्से में कैलिब्रेट किया जाता है, और एक 1/4 से 1/2 इंच, 26 या 27 गेज की सुई होती है। एक आईडी इंजेक्शन की खुराक आमतौर पर 0.5 मिली से कम होती है। एक आईडी इंजेक्शन के लिए प्रशासन का कोण 5 से 15 डिग्री है।
प्लेटलेट विकार,
थ्रोम्बोसाइटोपेनिया ऐसी बीमारी है, जिसमें रक्त के प्लेटलेट काउंट सामान्य प्लेटलेट काउंट (1.5 एम 3 ) से कम हो जाते हैं। यह एनिमिया के बाद ब्लड का सबसे सामान्य रोग माना जाता है, जो महिला और पुरुष दोनों को समान रूप से प्रभावित करता है। दरअसल, रक्त का थक्का बनने की प्रक्रिया में प्लेटलेट अहम भूमिका निभाते हैं।
1 – प्लेटलेट्स कम होने पर क्या दिक्कत होती है?
एक फीसदी ही मरीज गंभीर अवस्था में पहुंचते हैं। फिजीशियन डॉ. संजीव मिगलानी ने बताया कि प्लेटलेट्स कम होने का मतलब डेंगू होना नहीं होता। प्लेटलेट्स डेंगू के साथ ही वायरल बुखार, मलेरिया, चिकनगुनिया, किडनी और लीवर फेलियर आदि में भी कम हो सकती हैं।
2 – प्लेटलेट्स क्यों गिरता है?
प्लेटलेट्स डेंगू में ही नहीं, वायरल इंफेक्शन,मलेरिया और मलेरिया की दवा के सेवन से भी गिरते हैं। उक्त बीमारी और मलेरिया की दवा शरीर में प्लेटलेट्स के टूटने की प्रक्रिया तेज कर देती है। इसके अलावा सैप्सिस नामक बीमार में भी प्लेटलेट्स गिरने लगते हैं। मलेरिया पैरासाइट (परजीवी) की बीमारी है।
3 – प्लेटलेट्स घटने के लक्षण क्या है?
सिरदर्द, खांसी, मांसपेशियों में दर्द व शरीर में कमजोरी रहती है। ये लक्षण सामान्यत: पिस्सू के काटने के 5-14 दिन तक बने रह सकते हैं। इलाज में देरी से रोग गंभीर होकर निमोनिया का रूप ले सकता है। रोग की गंभीर स्थिति में प्लेटलेट्स की संख्या भी कम होने लगती है।
एम्निओटिक द्रव ,
एमनियोटिक द्रव एक सुरक्षात्मक तरल है।
कार्य: – यह भ्रूण को चारों ओर से घेरकर एक तकिया अथवा सदमा-अवशोषक के रूप में कार्य करता है और इसे बाहरी झटके से बचाता है। इस तरल से झिल्लियों के फैलाव के फलस्वरूप भ्रूण के माँसपेशीय एवम् कंकाल-विकास को बढ़ावा मिलता है। – एम्निओटिक द्रव भ्रूण का तापमान नियमित बनाए रखने में भी सहायता करता है।
1 – एमनीओटिक फ्लूइड नार्मल कितना होता है?
आमतौर पर डॉक्टर अल्ट्रासाउंड की मदद से एम्निओटिक फ्लूइड के लेवल का पता लगाते हैं। एम्निओटिक फ्लूइड की नॉर्मल वैल्यू 500 से 1000 मिली के बीच होनी चाहिए। अगर इससे ज्यादा हो, तो इसकी वजह से प्रेग्नेंसी में कुछ मुश्किलें आ सकती हैं।
धन्यवाद !!