मिर्गी क्या है? (What is Epilepsy)?
यह एक रोग है जिसमें ब्रेन में न्यूरॉन्स में असामान्य इलेक्ट्रिकल डिस्चार्ज के कारण बार-बार दौरे (Seizure) आते हैं एक प्रकार का ब्रेन डिसऑर्डर है जिसमें बार-बार मस्तिष्क में असाधारण रूप से विद्युत गतिविधियां होती हैं मिर्गी का दौरा पड़ने के दौरान प्रमुख व्यक्ति के सोचने व हिलने-डुलने की प्रक्रिया प्रभावित हो जाती है मिर्गी के इन एपिसोड्स को आमतौर पर जनरलाइज्ड सीजर, फोकल सीजर, कंबाइंड सीजर,जनरलाइज्ड एंड फोकल सीजर, और “सीजर ऑफ अननोन टाइप” के नाम से जाना जाता है, मिर्गी आमतौर पर मस्तिष्क की क्षति होने या मस्तिष्क संबंधी अन्य किसी रोग के कारण होती है क्योंकि यह स्थितियां मस्तिष्क की इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी को प्रभावित देती है हालांकि कई बार अचानक शराब छोड़ने डायबिटीज या बुखार के कारण भी मिर्गी का दौरा पड़ सकता है, लेकिन ऐसे व्यक्ति में को मिर्गी रोग ग्रसित नहीं माना जाता है किसी भी व्यक्ति को मिर्गी रोग से ग्रसित सिर्फ तभी माना जाता है जब उसे दो बार मिर्गी के दौरे पड़ चुके होते हैं किसी भी व्यक्ति को मिर्गी रोग से ग्रसित सिर्फ तभी माना जाता है जब उसे दो बार मिर्गी के दौरे पड़ चुके होते हैं।
मिर्गी के लक्षण:-
दौरे पड़ने ही मिर्गी का सबसे प्रमुख लक्षण होता है जो आम तौर पर कुछ मिनट के लिए रह सकता है हालांकि मिर्गी के दौरान विकसित होने वाले लक्षण प्रमुख रूप से इस बात पर भी निर्भर करते हैं कि पूरा मस्तिष्क या फिर कौन सा हिस्सा मिर्गी से प्रभावित हुआ है मिर्गी के प्रमुख प्रकारों के अनुसार उनसे होने वाले लक्षणों को निम्न बताया गया है,
आंशिक दौरे आना:- (partial Seizures),
यह मस्तिष्क के किसी एक हिस्से में होने वाली मिर्गी होती है जिससे विकसित होने वाले लक्षणों में निम्न शामिल है,
- जी मिचलाना
- मुंह मुंह का स्वाद बिगड़ ना किया दुर्गंध आना
- शरीर के किसी हिस्से में असाधारण रूप से झटके लगना
- अचानक से भय क्रोध व अन्य भावनात्मक लक्षण होना
- आंखें चौंधियाना
- पसीना आना
- आंखों की पुतली का चौड़ा हो जाना
- स्वपन अवस्था में होना
- याददाश्त खोना
आमतौर पर इन लक्षणों के दौरान व्यक्ति जाग रहा होता है और उसे यह भी पता हो सकता है कि उसके साथ क्या हो रहा है,
प्राइमरी जनरलाइज्ड सीजर के लक्षण:-
इसे टॉनिक-क्लोनिक सीजर या ग्रैंड मल सीजर के रूप में भी जाना जाता है जिससे होने वाले लक्षणों में निम्न शामिल है
- आंखों का घूमना एवं पलकें झपकाना
- शरीर शरीर की अनैच्छिक पेशियों में संकुचन
- शरीर शरीर का कंपकंपाना
- जमीन पर गिरना
- जीभ काट लेना
- बेहोश हो जाना
- सांस लेने में परेशानी होना
- सांस ना ले पाना
- मल-मूत्र को नियंत्रित न कर पाना
- शरीर में नीलिमा (Cyanosis) होना यह दौरे 2-5 मिनट के लिए आते हैं
यह लक्षण कुछ मिनट तक रहते हैं और इन लक्षणों की जाने के बाद भी व्यक्ति को कुछ मिनटों से लेकर घंटों तक उलझन, थकावट व कमजोरी महसूस होती है
लगातार दौरे की स्थिति:-
यह लगातार या सदैव दौरे की स्थिति है यह मिर्गी की गंभीरतम एवं जानलेवा स्थिति है इसमें एक के बाद एक दौरा लगातार आता रहता है एवं रोगी होश में नहीं होता है लगातार दौरे की स्थिति मै रेस्पिरेट्री डिस्ट्रेस हो जाता है इसमें रोगी की मृत्यु भी हो सकती है,
पेशिय संकुचन प्रावस्था:- (Tonic phase),हाथों का संकुचन एवं पैरों का सीधा होना
यह अवस्था लगभग 30 सेकंड के लिए आती है इसके निम्न लक्षण है,
- संपूर्ण शरीर में पेशियों में असामान्य संकुचन
- सांस लेने में समस्या
- सांस न ले पाना
- शरीर शरीर अकड़ना
- रोगी का जमीन पर गिरना
- हाथों का संकुचन एवं पैरों का सीधा होना
- शरीर में नीलिमा आना
क्लोनिक् प्रावस्था:- (Clonic phase),
यह लगभग प्रावस्था 1 मिनट तक रहती है इसके लक्षण है
- जबड़े का भिचना
- जीभ कटना
- आंखें ऊपर चढ़ना या तारेका ऊपर की ओर होना
- मल-मूत्र निकलना
- मुंह में झाग आना
- अकड़न कम होना
- स्वसन प्रारंभ होना
पश्य क्लोनिक प्रवस्था:- (Post clonic or relaxation phase),
इसकी अवधि निश्चित नहीं होती है इसके लक्षण निम्न है,
- पेशियों का पूरी तरह शिथिल हो जाना
- गहरा गहरा एवं अनियमित श्वसन
- बेहोशी
मिर्गी के कारण:-
ज्यादातर मामलों में मिर्गी के सटीक कारण का पता नहीं चल पाया है हालांकि निम्न कुछ ऐसी स्थितियों के बारे में बताया गया है जो मिर्गी के दौरे पड़ने का कारण बन सकती हैं
- मस्तिष्क में ट्यूमर
- मस्तिष्क में चोट लगना
- स्ट्रोक
- मस्तिष्क के रोग जैसे (अल्जाइमर रोग)
- मस्तिष्क मैं संक्रमण (जैसे मेनिनजाइटिस)
- शीशा विषाक्तता
- इम्यून डिसऑर्डर्स
- केमिकल या मेटाबॉलिक स्तर प्रभावित होना
- नशीले पदार्थों का सेवन करना
- अत्यधिक शराब पीना
- अनुवांशिक समस्याएं
- जन्मजात रोग
मिर्गी के जोखिम कारक:-
मस्तिष्क में किसी प्रकार की चोट लगने या बीमारी होने के कारण कुछ लोगों में मिर्गी रोग होने का खतरा ज्यादा होता है ऐसे लोगों में कुछ कारक मिर्गी होने का खतरा बढ़ सकते है
- पर्याप्त मात्रा में आहार ना लेना
- नशीले पदार्थों का सेवन करना
- शराब पीना
- थकान रहना
- ठीक से सो ना पाना
- अत्यधिक तनाव
इसके अलावा यदि मिर्गी से ग्रसित कोई व्यक्ति डॉक्टर द्वारा दी गई मिर्गी की दवाएं समय पर नहीं ले पा रहा है तो उसे भी मिर्गी के दौरे पड़ने का खतरा बढ़ जाता है
मिर्गी का निदान:-
मिर्गी की शुरुआत में ही इसका निदान करना थोड़ा मुश्किल हो सकता है क्योंकि माइग्रेन और बेहोश होने जैसी स्थितियों के लक्षण भी इससे मिलते-जुलते होते हैं अधिकतर मामलों में मिर्गी का निदान तब किया जाता है जब व्यक्ति को कम से कम दो बार मिर्गी के दौरे आते हैं मिर्गी का निदान करने के लिए डॉक्टर निम्न की जांच करते हैं
- दौरे किस समय पड़ते हैं
- किस गतिविधि के दौरान दौरे पड़ते हैं
- मिर्गी के दौरान कैसा महसूस हो रहा है। डॉक्टर मिर्गी की पुष्टि करने के लिए निम्न टेस्ट कर सकते हैं
- ब्लड टेस्ट
- शारीरिक परीक्षण
- लक्षणों की जांच
- सि-टी स्कैन
- एम आर आई
- सिरम ग्लूकोस लेवल की जांच
- ई ई जी (इलेक्ट्रोएन्सेफेलोग्राम)
- ब्रेन स्कैन
- लंबर पंक्चर
- सेरीब्रम एंजियोग्राफी
मिर्गी की रोकथाम:-
ज्यादातर मामलों में डॉक्टर मिर्गी के कारण का पता नहीं लगा पाते हैं हालांकि कुछ निश्चित मामलों में यह रोग माता-पिता से बच्चों को होता है जिसे जेनेटिक कंडीशन कहा जाता है जिन लोगों को मिर्गी होने का खतरा है पुणे निम्न चीजों से दूर रहना चाहिए,
- शराब या अन्य किसी नशीले पदार्थों का सेवन करना
- एलर्जी
- तनाव
- कब्ज या दस्त
- बुखार या उल्टी
- पर्याप्त नींद न लेना
- कई बार भोजन ना करना
- कैफीन का सेवन करना
- हार्मोन का संतुलन प्रभावित होना
- दबाएं बीच में छोड़ना या ज्यादा दवाई लेना
- आंखों में रोशनी की चमक लगना (धूप या बल्ब)
मिर्गी की जटिलताएं:-
यदि समय पर मिर्गी की समस्या का इलाज न किया जाए तो इससे व्यक्ति का सामान्य जीवन पूरी तरह से प्रभावित हो जाता है इसके अलावा निम्न जटिलताएं हो सकती है
- गिरकर चोट लगना
- खाते समय दौरा पड़ने पर भोजन या पानी सांस की नलियों में पहुंच जाना
- पढ़ते या काम करते समय ध्यान न लगा पाना
- गंभीर मामलों व्यक्ति की मृत्यु हो जाना
मिर्गी का इलाज:-
मिर्गी का इलाज आमतौर पर मिर्गी का दूसरा दौरा आने के बाद ही शुरू किया जाता है अगर डॉक्टर को लगता है कि मरीज को मिर्गी होने का खतरा है तो पहले दौरे के बाद भी इलाज शुरू किया जा सकता है मिर्गी के इलाज में आमतौर पर निम्न शामिल है
- एंटी-एपिलेप्टिक ड्रग- इन दवाओं का इस्तेमाल मिर्गी को रोकने के लिए किया जाता है, जो मस्तिष्क में विद्युत गतिविधियों को रोक देती है हर व्यक्ति की स्थिति के अनुसार उसको अलग मात्रा में दवा की आवश्यकता पड़ती है और मरीज के लिए उचित दवा का पता लगाने के लिए डॉक्टर कई बार अलग-अलग खुराक देकर देखते हैं ऐसा करने से डॉक्टर मरीज को उतना ही करा देते हैं जो बिना किसी साइड-इफेक्ट्स के मिर्गी के दौरे आने से रहे,
- वेगस नर्व स्टिमुलेशन:- इस तकनीक में गर्दन में मौजूद वेगस तंत्रिका का इलेक्ट्रिक एक्टिविटी की मदद से स्टीमुलेट किया जाता है जिससे मस्तिक की विद्युत गतिविधियां रुक जाती हैं इसमें व्यक्ति को एक खास प्रकार का डिवाइस लगा कर रखना पड़ता है जो वेगस नर्व से जुड़ा होता है
- सर्जरी- इसमें सर्जिकल प्रोसीजर की मदद से मस्तिष्क के उस हिस्से को निकाल दिया जाता है जिसके कारण मस्तिष्क में असामान्य इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी हो रही है सर्जरी सिर्फ तब ही की जाती है जब दबाए काम न कर पाए और सर्जरी से मस्तिष्क से उस हिस्से को निकालना संभव हो,
- डीप ब्रेन स्टिमुलेशन:- इस ट्रीटमेंट प्रोसीजर को आमतौर पर सिर्फ तब ही किया जाता है जब दबाए काम ना कर पाए और सर्जरी संभव न हो। इसमें मस्तिष्क के कई हिस्सों पर इलेक्ट्रोड लगा दिए जाते हैं और साथ ही सर्जरी प्रोसीजर की जाती है इस तकनीक में मस्तिष्क के किसी ऐसे हिस्से को नियमित रूप से हल्की-हल्की विद्युत आवेग (Electrical impulses) दी जाती है इस थेरेपी के मदद की मिर्गी के दौरे पड़ने के मामले कम हो जाते हैं लेकिन इसकी मदद से स्थिति का पूरी तरह से इलाज नहीं किया जा सकता है
मैं आशा करती हूं कि आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा।।
धन्यवाद।। ( by GS India Nursing, Lucknow, India).