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प्रसव की द्वितीय अवस्था, (Second Stage of Labour), प्रसव के द्वितीय अवस्था की मुख्य चरण क्या होते है, सामान्य प्रसव (Normal Delivery) क्या होता है?

प्रिय पाठको, इस आर्टिकल में हम प्रसव की द्वितीय अवस्था (Second stage of labour) के बारे में अच्छी तरीके से सटीक एवं शुद्ध जानकारी प्राप्त करेंगे। (Dr. Anu, Gynecologist, Kanpur)

द्वितीय अवस्था लेबर की क्या होती है:

प्रसव का दूसरा चरण तब शुरू होता है। जब सर्विक्स पूरी तरह फैल जाता है। इस चरण के दौरान शिशु का जन्म होता है। शिशु के जन्म के साथ ही यह चरण समाप्त हो जाता है। इस चरण को दो चरण में विभाजित किया गया है।

प्रणोदक चरण, (Propelsive phase):

यह दूसरे चरण में प्रारंभिक चरण है इसमें मुख्यतया शिशु के शरीर का प्रस्तुत भाग पेल्विक कैविटी टीवी में नीचे आता है यह (Descent) कहलाता है।

निष्कासन चरण, (Expulsion phase):

इस चरण में शिशु का निष्कासन करने के लिए एच्छिक एवं सक्रिय प्रयास किए जाते हैं। जो बेयरिंग डाउन (Bearing down) कहलाते हैं। नर्स आपकी डॉक्टर आपको बताएंगे कि यदि आप इससे अनुभव नहीं कर पाती हैं तो आपको क्या करना चाहिए। वेयर डाउन के लिए आपको अपनी सांस रोककर रखने के लिए आवश्यकता महसूस हो सकती है लेकिन इसे देर तक ना रोके।

प्रसव के दूसरी अवस्था की मुख्य चरण क्या होते है:

इस चरण में शिशु लगातार नीचे की ओर गमन होता है एवं जन्म नाल (Birth canal) योनि से होकर शिशु का जन्म होता है इस चरण में सर्विक्स के पूर्ण फैलाव हो जाने पर मैटरनल मेंब्रेन (Decidua) से पृथक हो जाती है साथ ही मेंब्रेन फट जाती है एवं एमनियोटिक फ्लूइड योनि से बाहर निकल आता है। इस तरह शिशु का जन्म होता है।

सामान्य प्रसव (Normal Delivery) क्या होता है:

सामान्य प्रसव में सर्वप्रथम शिशु का सिर बाहर आता है शिशु की सिर की डिलीवरी होते समय इस स्थिति में क्रमिक परिवर्तन होते हैं यह क्रमिक परिवर्तन समेकित रूप से प्रसव की क्रियाविधि कहलाती है सामान प्रसव की क्रियाविधि सिरके मैटरनल पेल्विस एरिया से गुजरते समय होती है। इसमें निम्न चरण होते हैं।

शिशु जन्म (Baby birth)

सिर का स्थानापन्न (Caput Succedaneum) क्या होता है:

श्रोणि गुहा (Pelvic cavity) से गुजरते समय भ्रूण के सिर की आकृति परिवर्तित होती है इन परिवर्तनों के कारण सिर की त्वचा के नीचे होने वाले सिरा प्रवाह (Venous drainage) एवं लसिका प्रवाह (Lymphatic drainage) में बाधा उत्पन्न होती है। इसके परिणामस्वरुप यह द्रव त्वचा एवं कपाल अस्थियों के मध्य जमा होकर सूजन (Swelling) का निर्माण करता है यह सूजन ही Caput Succedaneum) कहलाता है। इसका निर्माण कुछ विशेष स्थानों पर सिर पर दबाव के कारण होता है। यह सामान्यतः जन्म के 24 घंटे पश्चात लुप्त हो जाती है सिर पर इसकी स्थिति हमें प्रसव पूर्व शिशु की स्थिति एवं प्रस्तुति के बारे में सूचना प्रदान करती है।

प्रसव पीड़ा देखभाल कैसे करना चाहिए:

जब कोई महिला प्रसव पीड़ा में अस्पताल आती है तो नर्सिंग स्टाफ भ्रूण के आकार और स्थिति को निर्धारित करने के लिए पेट की शारीरिक जांच कर सकता है और गर्भाशय ग्रीवा की जांच भी कर सकता है इसके अलावा नर्सिंग स्टाफ निम्नलिखित जांच कर सकता है। ‌

डिलीवरी से पहले कैसे प्रबंधन (Management) करेंगी आप:

डिलीवरी होने से पहले निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए। यदि महिला को ज्यादा संकुचन हो रहे हैं तो महिला को डिलीवरी टेबल या बेड पर,‌ पीठ के बल लेटने के लिए कहा जाता है। एवं नर्स को मां एवं भ्रूण की स्थिति का नियमित रूप से आंकलन करना होगा। उचित साफ सफाई का ध्यान रखना चाहिए। “3C”इसका मतलब होता है की हाथ साफ रखने चाहिए और शिशु को रखने हेतु सतह साफ होनी चाहिए। एवं नाभि रज्जु को सफाई पूर्वक काटना चाहिए। महत्वपूर्ण बातें डिलीवरी के समय। ‌सिर उभरना आने के बाद सिर को फ्लेक्शन बनाए रखने हेतु शिशु के सिर के डब (Occiput) भाग को नीचे एवं अंदर की ओर दबाते हैं। शिशु की डिलीवरी हो जाने के बाद शिशु को देखभाल इकाई में भेज देना चाहिए। और मां एवं नवजात के चिन्हों की सतत मॉनिटरिंग करना चाहिए। मां से होने वाली बिल्डिंग की मात्रा को नोट करते रहना चाहिए ताकि पीपीएच की रोकथाम की जा सके।

मैं आशा करती हूं कि आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा।।

धन्यवाद!! (by GS India Nursing, Lucknow, India)…

Dr. Sanu AK……!!

Dr. Anu….!!

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