प्रिय पाठको, इस आर्टिकल में हम प्रसव की तृतीय अवस्था (Third stage of labour) के बारे में अच्छी तरीके से सटीक एवं शुद्ध जानकारी प्राप्त करेंगे। (Dr. Anu, Gynecologist, Kanpur).
प्रसव की तृतीय अवस्था क्या होती है:
यह प्रसव का अंतिम चरण है। यह शिशु के जन्म के बाद आरंभ होती है एवं प्लेसेंटा के बाद समाप्त (Expulsion) हो जाती है। इसकी अधिकतम सामान्य अवधि 30 मिनट तक होती है जबकि औसत अवधि 15 मिनट होती है। यह अवधि लगभग 1 घंटे तक भी हो सकती है। जबकि प्राइमिपारा (Primipara) 30 मिनट और मल्टीपैरा (Multipara) में 15 मिनट की होती है।
प्रसव तृतीय अवस्था के प्रमुख लक्षण एवं घटनाएं क्या होती हैं:
- प्लेसेंटा का पृथक हो जाना (Placenta separation)– प्रसव के आरंभ होने के समय प्लेसेंटा इसकी संपूर्ण क्षेत्रफल में गर्भाशय की भित्ति के समान जुड़ा होता है। इसका यह क्षेत्रफल लगभग 20cm, (8inch) लंबाई में होता है। प्रसव की अवधि बढ़ने के साथ अनुपातिक रूप में, इसके क्षेत्रफल में कमी आती है एवं शिशु के जन्म के पश्चात प्लेसेंटा अलग या पृथक हो जाता है।
- प्लेसेंटा की क्रियाविधि क्या होती है- प्रसव के दौरान गर्भाशय में संकुचन एवं रिट्रेक्शन होते हैं रिट्रेक्शन के परिणाम स्वरूप गर्भाशय के आकार में लगातार कमी आ जाती है जिससे यूटरिन कैविटी का क्षेत्रफल कम होता चला जाता है। प्लेसेंटा में पीएसयू की अनुपस्थिति के कारण यह असंकुचनशील या अप्रत्यास्थ (Inelastic) होता है। यूटरिन कैविटी जिससे प्लेसेंटा जुड़ा रहता है उसका क्षेत्रफल लगातार कम होता जाता है जबकि प्लेसेंटा का क्षेत्रफल समान बना रहता है। एवं (Decidua) प्लेसेंटा से प्रथक होना आरंभ हो जाती है। यह प्लेसेंटा की बकलिंग (Buckling) कहलाती है। इसका अर्थ होता है स्वयं के स्थान से हटना।
प्लेसेंटा का निष्कासन (Placenta Expulsion) कैसे होता है:
गर्भाशय के ऊपरी हिस्से में प्लेसेंटा इप्लांट होता है और डिलीवरी के बाद इसे गर्भाशय की दीवार से अलग कर दिया जाता है। प्लेसेंटा के पूर्ण पृथक्करण के पश्चात यह गर्भाशय में होने वाले संकुचन एवं रिट्रेक्शन के द्वारा गर्भाशय की निचला खंड (Lower Segment) में धकेल दिया जाता है। इसके बाद यह गर्भाशय में होने वाले संकुचन एवं “वेयरिंग डाउन” (Bearing down) के सम्मिलित प्रयास द्वारा बाहर निष्कासित कर दिया जाता है। यदि यह स्वता बाहर नहीं निकलता है तब इसे सक्रिय प्रयास द्वारा शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है।
प्रसव के तृतीय अवस्था में प्लेसेंटा का प्रबंधन कैसे करेंगे आप:
प्रसव की तृतीय अवस्था एवं बहुत महत्वपूर्ण अवस्था होती है। इस अवस्था में उचित देखभाल उपलब्ध ना होने पर गंभीर एवं दीर्घकालीन जटिलताएं उत्पन्न हो सकती हैं अतः इस अवस्था में उचित देखभाल करना आवश्यक होता है। इसमें निम्न बातों को शामिल किया गया है।
- 12 घंटे से अधिक प्रसव पीड़ा होने पर इमरजेंसी की देखभाल देनी चाहिए।
- 30 मिनट से अधिक प्लेसेंटा का निष्कासन ना हो पाना।
- मां को दौरे या बेहोशी आना एक्लंप्षण (Eclampsia) के लक्षण उत्पन्न होना।
- अधिक खून आना पीपीएच का कारण हो सकता है।
- ठंड लगकर तेज बुखार आना।
शिशु के जन्म के बाद 10 से 15 मिनट तक प्लेसेंटा के स्वतः प्रथक होने के लिए इंतजार करना चाहिए। और गर्भाशय की (Fundus) वाले भाग पर हाथ रखकर मसाज करना चाहिए। गर्भाशय की लगातार मालिश करते रहे ताकि अंदर रहा शेष भाग एवं रक्त के थक्के गर्भाशय से बाहर आ जाए। और अगर 30 मिनट के अंदर प्लेसेंटा का निष्कासन नहीं होता है। तो नर्स को गर्भाशय में संकुचनो की उपस्थिति की जांच करना चाहिए।
प्लेसेंटा निष्कासन करने के लिए फंडल दबाव कैसे करेंगे आप:
इस विधि में एक हाथ का उपयोग किया जाता है इसमें उदर (Abdominal cavity) पर हाथ रखकर गर्भाशय के फंडल को एक ओर से चार उंगलियों की सहायता से एवं दूसरी तरफ से इसी हाथ के अंगूठे की सहायता से दबाया जाता है यह दबाव गर्भाशय में संकुचन सोते समय लगाया जाता है यदि गर्भाशय में संकुचन उपस्थित नहीं है तब इसकी धीरे-धीरे मालिश की जाती है जिससे यह कठोर एवं संकुचनशील हो जाता है। यह दबाव नियमित अंतराल पर तब तक लगाया जाता है जब तक कि प्लेसेंटा सेपरेट होकर योनि में ना जाए।
प्लेसेंटा को हाथ से पकड़ कर निकाल देना (manual removal of placenta):
यह प्लेसेंटा निष्कासन की सक्रिय विधि है। इस विधि में दोनों हाथों पर दस्ताने पहन लिए जाते हैं एवं बाएं हाथ की सहायता से पेट पर हाथ रखकर प्लेसेंटा की स्थिति का पता लगाया जाता है अब दाएं हाथ को नुकीला या कोणाकार देकर योनि में अंदर किया जाता है एवं यूटरिन कैविटी में पहुंचा दिया जाता है अब प्लेसेंटा को इसके किनारे की तरफ से अलग करना प्रारंभ किया जाता है एवं धीरे-धीरे संपूर्ण प्लेसेंटा को (Decidua) से पृथक कर लिया जाता है। संपूर्ण प्लेसेंटा के पृथक हो जाने के बाद अब बाए हाथ की सहायता से गर्भाशय पर मालिश की जाती है एवं दाएं हाथ से प्लेसेंटा को धीरे-धीरे बाहर निकाल लिया जाता है।
मैं आशा करती हूं कि आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा।।
धन्यवाद!! (by GS India Nursing, Lucknow, India)…
Dr. Sanu AK……!!
Dr. Anu….!!